

Karwa Chauth 2025 का पर्व आज झारखंड के विभिन्न हिस्सों में बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और वैवाहिक सुख की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। परंपरा के अनुसार, सूर्योदय से पहले सरगी खाकर दिनभर बिना जल के व्रत रखा जाता है। शाम को महिलाएं करवा माता की पूजा करती हैं, सोलह श्रृंगार से स्वयं को सजाती हैं और चांद का दर्शन कर अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं। इस पावन अवसर पर घर-घर में सजे पूजा थाल, दीपक की रोशनी और सुहागिनों की लाल चुनरी से वातावरण भक्ति और प्रेम से सराबोर है।
झारखंड के प्रमुख शहरों में आज चंद्रोदय के समय को लेकर महिलाओं में खास उत्सुकता देखी जा रही है। रांची में चांद रात 7:56 बजे, जमशेदपुर में 7:52 बजे, धनबाद में 7:14 बजे, बोकारो स्टील सिटी में 7:28 बजे, हजारीबाग में 7:28 बजे, गिरिडीह में 7:59 बजे, देवघर में 7:45 बजे और रामगढ़ में 7:00 बजे उदय होगा। परंपरा के अनुसार, चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत खोला जाता है, इसलिए महिलाएं समयानुसार अर्घ्य देकर पूजा-पाठ में लीन रहेंगी। झारखंड के मंदिरों और घरों में आज शाम विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होगा।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, करवा चौथ का व्रत न केवल पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए होता है, बल्कि यह दांपत्य जीवन में विश्वास, समर्पण और प्रेम की गहराई को भी दर्शाता है। इस दिन महिलाएं मां गौरी और भगवान शिव की पूजा करती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अपने पति का दर्शन करती हैं। अगर चांद बादलों में छिप जाए तो महिलाएं उसकी दिशा में देखकर मन से चंद्रदेव का ध्यान करती हैं। करवा चौथ का यह व्रत भारतीय संस्कृति की उस अनोखी परंपरा का प्रतीक है, जो वैवाहिक बंधन की पवित्रता को और मजबूत बनाता है।




