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आधी सदी तक संघर्षों के ताप में तपा है सोरेन परिवार, जाने वे संघर्ष की फ़ेहरिस्त कहानी सोबरन-शिबू-हेमंत सोरेन की

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आधी सदी तक संघर्षों के ताप में तपा है सोरेन परिवार, जाने वे संघर्ष की फ़ेहरिस्त कहानी सोबरन-शिबू-हेमंत सोरेन की 1

Ranchi: रामगढ़ के गोला प्रखंड के नेमरा गांव तीन तरफ से पहाड़ों से गिरा हुआ है। छोटा सा गांव,पर इस गांव में पैदा हुए लोगों की कहानी अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो रही है। इसी गांव में सोरेन परिवार रहता है। यह वही परिवार है जिसने जुल्म और शोषण के खिलाफ संघर्ष की लंबी फेहरिस्त कहानी गढ़ी है। बता दें कि महाजनी प्रथा के खिलाफ सोबरन मांझी ने हीं पहला बिगुल फूंका था। सोबरन मांझी पेशे से शिक्षक थे और वे महात्मा गांधी के विचार से प्रभावित थे। उन्होंने महाजनी शोषण और गांव में शराबबंदी के खिलाफ आवाज उठाई बाद में उसकी हत्या महाजनों द्वारा करवा दी गई। 65 साल बीते इस घटना से ही उनके बेटे शिबू सोरेन में प्रतिशोध के दृढ़ संकल्पित भाव पैदा हुआ था जो कालांतर में शिबू सोरेन को एक नायक के तौर पर उभारा और अन्याय एवं शोषण के खिलाफ संघर्ष के प्रतीक पुरुष बन गए। पिता सोबरन मांझी की शहादत के बाद शिबू सोरेन के मन में विद्रोह की जो बीच उपजे उसी का नतीजा रहा कि पूरे इलाके में सूदखोरी प्रथा का अंततः खात्मा हो गया। पिता के आत्महत्या के बाद ही शिबू सोरेन ने महाजनी प्रथा के शोषण-दमन के दुष्चक्र के खिलाफ दृढ़ संकल्प होकर संघर्ष किया। शिबू सोरेन पढ़ाई छोड़ कर जंगल में लकड़ी काटने जाते, उसी दौरान इलाके में सक्रिय कम्युनिस्ट नेता मंजूर हसन की निगाह शिबू सोरेन पर पड़ी और उनके संघर्ष को उन्होंने दिशा दी। उनके साथ रहकर उनमें राजनीतिक चेतना भी पैदा हूई। शिबू सोरेन ने गांव के लोगों को एकजुट किया और महाजनों के खिलाफ धनकटनी आंदोलन शुरू कर दिया। महाजनों और सूदखोरों ने आदिवासियों की जिस जमीनों पर गलत तरीके से कब्जा कर रखा था। उसकी फसल एकजुट होकर काटी जाने लगी। आंदोलन की अगुवाई करते शिबू सोरेन के नाम का खौफ ऐसा था कि सूदखोरों-महाजनों की रूह कांपने लगी, बाद में शिबू सोरेन का संघर्ष व्यापक होता गया। वे संथाल के नायक बनकर उभरे। उन्हें पूरे समुदाय का गुरु माना गया। शिबू सोरेन के दिशोम गुरु बनने की कहानी के पीछे सोबरन मांझी की शहादत ही है।

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन:-

हेमंत सोरेन झारखंड में संघर्ष की एक लंबी परंपरा के वारिस हैं,जिनका नेतृत्व उनके दादा और पिता, आदिवासियों के दिशोम गुरू कहे जाने वाले शिबू सोरेन ने किया था बता दें कि आधी सदी तक संघर्षों के ताप में तपा है सोरेन परिवार।

पिता शिबू सोरेन के संघर्ष से झारखंड अस्तित्व में आया। झारखंड बनने की कहानी और झारखंडियों के खतियानी आधारित नियोजन नीति के लंबी मांग को भी अपने नेतृत्व में विधानसभा से पास किया। कोरोनाकाल में झारखंड वासियों और मजदूरों के लिए कार्य और प्रदेश में लाने का व्यवस्था को पूरे देश में दाद दिया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चैंपियन ऑफ चेंज अवार्ड 2019 से सम्मानित किया गया। हेमंत सोरेन ने सर्वजन पेंशन योजना लागू करके वृद्ध विधवा और सामाजिक सुरक्षा के अहर्ता रखने वाले सभी लाभुकों को आसानी से पेंशन मिल पा रहा है झारखंड में पुरानी पेंशन योजना भी लागू कर दिया गया है। और ऐसे कई जन कल्याणकारी योजनाओं से झारखंड वासियों को अपने और आकर्षित करने का काम कर रही है। हेमंत के नेतृत्व में पहली बार वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड में गठबंधन की सरकार बनी और अपने नेतृत्व में झारखंड में हुए 4 उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हराया।


मौजूदा हालात में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संघर्ष का रास्ता चुनते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और ईडी अरेस्ट करके अपने कोर्ट में पूछताछ कर रही है। राजनीति के जानकार कहते हैं कि हेमंत सोरेन यदि भाजपा का दामन थाम लेते तो अरेस्ट करने वाले ईडी उन्हें सैल्यूट करते और झारखंड मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहते। और झारखंड में इस तरह से राजनीतिक त्रासदी नहीं

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