मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन:-
हेमंत सोरेन झारखंड में संघर्ष की एक लंबी परंपरा के वारिस हैं,जिनका नेतृत्व उनके दादा और पिता, आदिवासियों के दिशोम गुरू कहे जाने वाले शिबू सोरेन ने किया था बता दें कि आधी सदी तक संघर्षों के ताप में तपा है सोरेन परिवार।
पिता शिबू सोरेन के संघर्ष से झारखंड अस्तित्व में आया। झारखंड बनने की कहानी और झारखंडियों के खतियानी आधारित नियोजन नीति के लंबी मांग को भी अपने नेतृत्व में विधानसभा से पास किया। कोरोनाकाल में झारखंड वासियों और मजदूरों के लिए कार्य और प्रदेश में लाने का व्यवस्था को पूरे देश में दाद दिया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चैंपियन ऑफ चेंज अवार्ड 2019 से सम्मानित किया गया। हेमंत सोरेन ने सर्वजन पेंशन योजना लागू करके वृद्ध विधवा और सामाजिक सुरक्षा के अहर्ता रखने वाले सभी लाभुकों को आसानी से पेंशन मिल पा रहा है झारखंड में पुरानी पेंशन योजना भी लागू कर दिया गया है। और ऐसे कई जन कल्याणकारी योजनाओं से झारखंड वासियों को अपने और आकर्षित करने का काम कर रही है। हेमंत के नेतृत्व में पहली बार वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड में गठबंधन की सरकार बनी और अपने नेतृत्व में झारखंड में हुए 4 उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हराया।
मौजूदा हालात में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संघर्ष का रास्ता चुनते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और ईडी अरेस्ट करके अपने कोर्ट में पूछताछ कर रही है। राजनीति के जानकार कहते हैं कि हेमंत सोरेन यदि भाजपा का दामन थाम लेते तो अरेस्ट करने वाले ईडी उन्हें सैल्यूट करते और झारखंड मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहते। और झारखंड में इस तरह से राजनीतिक त्रासदी नहीं