Ranchi : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संरक्षक शिबू सोरेन के निधन से पूरे राज्य में शोक की लहर है। राज्य सरकार ने इस दुखद घटना पर तीन दिनों का राजकीय शोक घोषित किया है। साथ ही, 4 और 5 अगस्त को सभी सरकारी कार्यालय बंद रखने का निर्णय लिया गया है। इस दौरान किसी भी तरह के आधिकारिक समारोह या मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि शिबू सोरेन का जाना झारखंड और देश दोनों के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने कहा, “गुरुजी ने झारखंड के निर्माण और आदिवासी-मूलवासी समुदायों के अधिकारों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उनका संघर्ष और योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।”
राजकीय शोक के दौरान पूरे राज्य में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। सरकार ने आम जनता से अपील की है कि वे इस कठिन समय में शांति और संयम बनाए रखें और गुरुजी को श्रद्धांजलि दें।
राजनीतिक सफर और योगदान
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को हुआ था। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत किसानों और आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई से की। 1970 के दशक में उन्होंने अलग झारखंड राज्य की मांग को लेकर आंदोलन तेज किया और 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की स्थापना की। लंबे संघर्ष और आंदोलनों के बाद 2000 में झारखंड राज्य का गठन हुआ।
सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे और केंद्र सरकार में भी कई बार मंत्री पद संभाला। उन्हें “गुरुजी” के नाम से जाना जाता था और वे झारखंड की राजनीति के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते थे।
जनता में गहरा सम्मान
उनका जीवन संघर्षों और उपलब्धियों से भरा रहा। वे हमेशा ग्रामीण और वंचित वर्गों की आवाज बने रहे। आज उनका जाना न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक रूप से भी एक बड़ी क्षति है।