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झाविमो के प्रवक्ता रहे अज़ीज़ ए मुबारकी ने मोदी सरकार से पूछा कोरोना से लड़ने में इतना पीछे क्यों है?

Arti Agarwal
झाविमो के प्रवक्ता रहे अज़ीज़ ए मुबारकी ने मोदी सरकार से पूछा कोरोना से लड़ने में इतना पीछे क्यों है? 1

कोरोना वायरस के बढ़ते मरीजों को देखते हुए केंद्र सरकार ने लॉकडाउन का फैसला लिया है. लॉकडाउन की वजह से हज़ारो की संख्या में दिहाड़ी मजदूरों के सामने खाने और रहने की समस्या खड़ी हो गयी जिसके बाद बड़ी संख्या में विभिन्न राज्यों में काम कर रहे लोगो पलायन करने लगे. पलायन करने वालो की संख्या इतनी थी की मनो जैसे कोई रैली का आयोजन किया गया हो. बस, ट्रेन बंद होने के बाद दिहाड़ी मजदुर पैदल ही अपने घरो की तरफ रुख कर चुके थे. कोई 300 किलोमीटर तो 500 की दूरी तय कर घर लौट रहे थे.

पलायन का आंकड़ा इतना ज्यादा था की सरकार ने उन्हें वही रोक दिया जहाँ से वे गुजर रहे थे. उनके खाने पिने के साथ रहने की भी व्यवस्था की गयी है. केंद्र सरकार ने कोरोना से निपटने के लिए कई योजनाओ को राहत देने के साथ फिर से चालू किया गया है.

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अज़ीज ए मुबारकी ने केंद्र सरकार से सवाल किया है की आखिर भारत कोरोना से लड़ने में इतना पीछे क्यों है?? जबकि वैश्विक महामारी की जानकारी इन्हे पहले से थी. उन्होंने कहा दिल्ली में लाखों प्रवासी मजदूर मलिन बस्तियों में या निर्माण कार्य स्थलों पर या छोटे ढाबों (भोजनालयों) के परिसर में किरायेदारों के रूप में प्रवासियों के साथ छोटे कमरे साझा कर रहे हैं जहाँ वे काम करते हैं या बंद दुकानों के भीतर भी। एक बार जब ये सभी कार्य स्थल बंद हो गए, तो हजारों श्रमिकों के पास कोई विकल्प नहीं था, जो भूख के वास्तविक भय से प्रेरित थे, “लक्ष्मण रेखा” को पार करने के लिए मजबूर थे. और इसी वजह से हज़ारो की संख्या में मजदुर दिल्ली जैसे शहरो से निकल करके अपने घरो की ओर जाने ले लिए बेबश और मजबूर थे.

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लेकिन सरकार ने पिछले 4 महीनों में क्या किया है, मेरा मतलब है कि यह चीन में हो रहा था, यूरोप में शुरू हुआ जब हम ताज महल धो रहे थे? हमें पता था कि हमारे पास आवश्यक बुनियादी ढांचा नहीं था? दवाई ? बेड? एक दिन पहले ही हमने वेंटिलेटर के लिए निविदा अधिसूचना मंगाई है! लॉकडाउन होने से पहले हम किस आपदा का इंतजार कर रहे थे? प्राधिकरण के लोग इस मामले में अपनी गैर-जिम्मेदारी से इनकार नहीं कर सकते हैं, अगर कोई भी इस सामूहिक विस्थापन, मौतों और संपार्श्विक क्षति के लिए जिम्मेदार है, तो केंद्र की सरकार है.