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Bihar Election 2025
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Bihar Election 2025: यूपी के नेताओं ने बिहार में डाला डेरा, बंगाल-झारखंड के बिहारी सांसद गायब

Megha Sinha
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Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल अब गरम हो चुका है। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होने वाला है और सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विपक्षी दलों के बड़े नेता लगातार जनसभाओं में जुटे हैं। बिहार भौगोलिक रूप से तीन राज्यों — पश्चिम बंगाल, झारखंड और उत्तर प्रदेश — से घिरा है। इसके बावजूद बंगाल और झारखंड से इस बार राजनीतिक भागीदारी नदारद है। वहीं, उत्तर प्रदेश से तमाम बड़े नेता बिहार में सक्रिय हैं। भाजपा से लेकर समाजवादी पार्टी, बसपा और आजाद समाज पार्टी तक — सभी यूपी आधारित दलों ने बिहार की धरती पर अपना राजनीतिक प्रभाव बढ़ाने की कोशिशें तेज कर दी हैं।

इस चुनाव में खास बात यह है कि बंगाल और झारखंड जैसे नजदीकी राज्य, जिनसे बिहार का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्ता रहा है, इस बार चुनावी सीन से पूरी तरह गायब हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और कई क्षेत्रीय दलों के नेता बिहार में रैलियां कर रहे हैं। योगी सरकार के कई मंत्री सीमावर्ती जिलों में डेरा डाले हुए हैं। लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के प्रमुख हेमंत सोरेन, जो कभी बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में सक्रिय माने जाते थे, इस बार मंच से दूर हैं। झारखंड की अन्य क्षेत्रीय पार्टियों ने भी अब तक बिहार में अपने प्रचार अभियान का कोई कार्यक्रम तय नहीं किया है। इससे स्पष्ट है कि बिहार चुनाव में यूपी की उपस्थिति मजबूत होती दिख रही है, जबकि झारखंड और बंगाल किनारे हैं।

भाजपा ने हालांकि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और बाबूलाल मरांडी को बिहार प्रचार में शामिल किया है, लेकिन झारखंड और बंगाल के बिहारी सांसद पूरी तरह गायब हैं। बंगाल के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा और कीर्ति झा आजाद, जो दोनों बिहारी हैं और पूर्व में बिहार की राजनीति से जुड़े रहे हैं, इस बार चुनावी मैदान से दूर हैं। शत्रुघ्न सिन्हा कभी पटना से सांसद रहे हैं और उनके बेटे ने बांकीपुर से चुनाव भी लड़ा था, वहीं कीर्ति झा आजाद दरभंगा से सांसद और उनके पिता बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसी तरह झारखंड के सांसद निशिकांत दुबे, जो मूल रूप से भागलपुर के हैं, इस बार बिहार में दिखाई नहीं दे रहे। यह नजारा बताता है कि बिहार चुनाव 2025 में पड़ोसी राज्यों के नेताओं की सक्रियता में असमानता साफ झलक रही है — एक ओर यूपी पूरी ताकत से मैदान में है, तो दूसरी ओर बंगाल और झारखंड के नेता सीन से गायब हैं।