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बिहार में 32 सीटों पर लड़ेगी ओवैसी की पार्टी, जानिए कैसे बिगड़ सकता है राजद और कांग्रेस का खेल

News Desk

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) ने 32 सीटों को चिह्नित कर उसकी लिस्ट जारी कर दी है.

ओवैसी की पार्टी AIMIM ने जिन 32 सीटों का ऐलान किया है, उनमें से ज्यादा सीटों पर आरजेडी और कांग्रेस का कब्जा है और मुस्लिम विधायक भी अच्छे खासे हैं. इन सीटों पर ओवैसी की पार्टी के चुनाव लड़ने की मंशा ने महागठबंधन के साथ-साथ मौजूदा मुस्लिम विधायकों के लिए भी टेंशन बढ़ा दी है.

बिहार विधानसभा की 243 में से 32 सीटों पर लड़ने की पहली लिस्ट जारी की है. इनमें से फिलहाल 16 सीटों पर आरजेडी का कब्जा है तो सात सीटें कांग्रेस के पास हैं. वहीं, चार सीटें जेडीयू और तीन सीटें बीजेपी के पास हैं जबकि तीन सीटें अन्य के पास हैं.

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दिलचस्प बात यह है कि इन 32 सीटों में से 10 पर मुस्लिम विधायक हैं, जिनमें से सात आरजेडी, दो कांग्रेस और एक माले से मुस्लिम विधायक हैं. ऐसे में इन सीटों पर मुस्लिम बनाम ओवैसी की पार्टी के प्रत्याशी के बीच मुकाबला होगा।

ओवैसी की पार्टी ने जिन 32 सीटें का ऐलान किया है. इनमें से बरारी, बायसी, जोकीहाट, केवटी, समस्तीपुर, बिस्फी, झंझारपुर, साहेबगंज, महुआ, ढाका, रघुनाथपुर, बरौली, साहेबपुर कमाल, शाहपुर और मखदुमपुर सीट पर आरजेडी का कब्जा है. वहीं, कदवा, अमौर, बेतिया, नरकटियागंज, कहलगांव, वजीरगंज और औरंगाबाद सीट कांग्रेस के पास है.

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वहीं, बाजपट्टी, फुलवारी, दारौंदा और सिमरी बख्तियारपुर सीट पर जेडीयू का कब्जा है तो रामनगर, परिहार और चैनपुर में बीजेपी का विधायक है. इसके अलावा इमामगंज सीट से जीतन राम मांझी विधायक हैं तो बोचहा में निर्दलीय और बलरामपुर में माले का कब्जा है.

प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि वह समान विचारधारा वाली पार्टी से गठबंधन करने को भी तैयार है. सीएए-एनआरसी के खिलाफ किशनगंज की रैली में ओवैसी के साथ पूर्व जीतनराम मांझी ने मंच शेयर किया था, जिसके बाद दोनों के बीच गठबंधन के कयास लगाए जा रहे थे. पर ओवैसी की पार्टी ने मांझी की सीट इमामगंज पर भी दावा करके एआईएमआईएम न साफ कर दिया है कि अभी वह किसी पर भी रियायत करने वाली नहीं है.

ओवैसी के स्टैंड से विधानसभा चुनाव में बीजेपी-जदयू की राह आसान हो सकती है, क्योंकि उन्होंने जिन सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया है, उनमें से दो तिहाई से ज्यादा सीटों पर अभी महागठबंधन का कब्जा है. ऐसे में अगर मुस्लिम वोटो का बंटवारा हुआ तो विपक्ष की राह मुश्किल हो सकती है.