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झारखंड बनने के बाद 20 साल में पहली बार बदली JPSC सिविल सर्विसेस नियमावली, कैबिनेट से मिली स्वीकृति

झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के द्वारा 6 जनवरी 2021 को कैबिनेट की बैठक की गई इस बैठक में मुख्यता दो विषयों पर मुहर लगी जो उर्जा विभाग और झारखंड लोक सेवा आयोग से जुड़ी हुई है.

झारखंड केे आंदोलनकारियों के द्वारा राज्य अलग की लड़ाई लड़कर 15 नवंबर 2000 को झारखंड को बिहार से अलग कर एक नए राज्य के रूप में नई पहचान दी गई झारखंड बनने के बाद लोगों की अपेक्षा और भी बढ़ गई राज्य की जनता विकास की गति को तेजी से देखने के लिए अग्रसर थी परंतु राज्य में बदलते राजनीतिक हालात के कारण यह संभव नहीं हो पाया और धीरे-धीरे झारखंड ने कई चुनौतियों का सामना किया और कर भी रही है

राज्य बनने के बाद अगर किसी चीज को लेकर सबसे ज्यादा विवाद उत्पन्न हुआ है तो वह है झारखंड लोक सेवा आयोग. झारखंड बनने के 20 साल हो चुके हैं परंतु जेपीएससी और जेएसएससी जैसे विभागों की समस्याएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही है अक्सर झारखंड लोक सेवा आयोग के द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षा का परिमाण या तो नहीं आता था या फिर किसी कारणवश प्रत्येक परीक्षा न्यायालय की चौखट पर जाकर अटक जाती थी. लेकिन राज्य की हेमंत सोरेन सरकार इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश में लग गई है और इसी समस्या से निजात पाने के लिए नई नियमावली को मंजूरी दी गई है.

हेमंत सरकार के द्वारा 6 जनवरी 2021 को हुई कैबिनेट बैठक में झारखंड लोक सेवा आयोग से जुड़ी एक महत्वपूर्ण नियमावली को मंजूरी दी गई है. झारखंड में होने वाली सिविल सेवा परीक्षा साल 1951 में बनी नियमावली के अनुसार होती थी लेकिन राज्य सरकार के द्वारा पारित किए गए नए नियमावली के अनुसार अब परीक्षाएं ली नई नियमावली के तहत प्रत्येक साल ली जाएंगी. कुछ दिनों पूर्व विकास आयुक्त वित्त सचिव और कर्मिक सचिव की एक कमेटी बनाई गई थी जिन्हें जो जिम्मेदारी दी गई थी कि वह एक ऐसे नियमावली तैयार करें जिसमें आने वाले दिनों में आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में कोई भी बाधा उत्पन्न ना हो इसी रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट से नहीं नियमावली पारित की गई है.

राज्य अलग के बाद पहली बार बनाई गयी नई नियमावली:

झारखंड अलग होने के बाद 20 वर्ष गुजर चुके हैं लेकिन अब तक सिविल सेवा परीक्षाओं के लिए राज्य सरकार के द्वारा कोई भी नई नियमावली नहीं बनाई गई थी साल 1951 में बनी नियमावली के आधार पर ही अब तक परीक्षाएं ली जाती थी लेकिन हेमंत सरकार के द्वारा बनाई गई ने नियमावली के अनुसार अब प्रत्येक वर्ष परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी इसके अलावे इस नियमावली के तहत कई और प्रदान किए गए हैं जो इस प्रकार हैं:-

  • राज्य सरकार के द्वारा यह फैसला लिया गया है कि अब सभी 15 सेवाओं के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा की शैक्षणिक योग्यता और उम्र सीमा एक समान रहेगी.
  • वहीं, पीटी में पद से 15 गुना उम्मीदवारों का चयन मुख्य परीक्षा के लिए किया जायेगा.
  • अनारक्षित श्रेणी के कट ऑफ मार्क्स से आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए कट ऑफ मार्क्स अधिकतम आठ फीसदी ही कम रहेगा.
  • सर्विस एलोकेशन (सेवा वितरण) के लिए फाइनल रिजल्ट के बाद मेरिट लिस्ट तैयार किया जायेगा और इसी लिस्ट के आधार पर सेवा वितरण किया जायेगा.
  • अनारक्षित वर्ग के कट ऑफ मार्क्स के बराबर या फिर ऊपर अगर आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों का अंक होगा तो वे अनारक्षित श्रेणी में आ जायेंगे. परंतु उनको आरक्षित श्रेणी में वापस आने का विकल्प रहेगा.
  • इंटरव्यू के लिए कुल सीटों के ढाई गुना उम्मीदवारों को ही बुलाया जायेगा.
  • भाषा के पेपर का मार्क्स नहीं जोड़ा जायेगा यह केवल क्वालिफाइंग मार्क्स होगा.