News Desk:
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यहां तक पहुंचना माधव के लिए लगभग असंभव सा था. महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में जन्मे माधव के माता-पिता किसान थे जिन पर माधव समेत उनके 5 भाई-बहनों की जिम्मेदारी थी. माधव अपने अन्य भाई – बहनों की तरह ही माता-पिता का खेती में हाथ बटांते थे. लेकिन उनके भीतर पढ़ाई करने और कुछ बनने की लालसा कभी ख़त्म नहीं हुई.
माधव ने अपनी 10 वीं की पढ़ाई 2004 में पूरी की, लेकिन उसी साल उनकी मां को कैंसर हो गया. कैंसर का इलाज हो गया लेकिन एक साल बाद ही उनका देहांत हो गया. मां की मौत से माधव को गहरा सदमा लगा. इसके बाद उन्होंने 11 वीं में दाखिला ले लिया. वे रोज़ 11 किलोमीटर तक साइकिल चलाकर पढ़ने जाया करते और थक कर सो जाया करते थे. ग्यारहवीं कक्षा के बाद माधव को आर्थिक कारणों से एक साल का गैप लेना पड़ा. वे पैसे जुटाने के लिए खेत में काम करने लगे.