झारखंड आदिवासी महोत्सव 2023 जहां हम देख रहे है समृद्ध आदिवासी जीवन दर्शन की झलकियां। 10 अगस्त यानी समापन दिवस को संस्कृति और इतिहास का अनुठा संगम स्थल बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान,रांची में आयोजित हो रहे भव्य समारोह में पद्मश्री मधु मंसूरी की आकर्षक प्रस्तुति लोगो को लुभा रही है।
यूं तो झारखंड की धरा को ऊपर वाले ने प्रकृति,कला और संस्कृति से बखूबी नवाजा है। आइए जानते है झारखंड आंदोलन के लिए कई नागपुरी गीत लिखने और गाने वाले पद्मश्री मधु मंसूरी हसमुख के बारे में। 4 सितम्बर 1948 को रांची के सिमिलिया में जन्में मधु मंसूरी ने सन् 1960 जब उनकी आयु 12 वर्ष थी उन्होंने अपना पहला गाना गाया। उनके गायन और लेखन की प्रतिभा को देखकर इन्हें कई उपाधियों से नवाजा गया है। उनके कई उत्कृष्ट रचनाओं के अनुपम श्रृंखला में “नागपुर कर कोरा व गांव छोड़ब नहीं जंगल छोड़ब नहीं ” उल्लेखनीय है।