बजट सत्र के अंतिम दिन सीएम हेमंत सोरेन ने 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति और नियोजन नीति पर डटे रहने की घोषणा कर एक तीर से कई निशाने लगाने की कोशिश की है। इससे उनके विरोधियों को झटका लगा है, जो यह सोच रहे थे कि वे बैकफुट पर होंगे।
सोरेन ने स्पष्ट कर दिया कि 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता नीति उनका मुद्दा पहले भी था और आगे भी रहेगा। उन्होंने यह कहकर भी चौंकाया कि लंबी उछाल लेने के लिए शेर की तरह वे दो कदम पीछे गए हैं। । इससे स्पष्ट है कि उनके तरकश में कई तीर हैं, जिससे वे विरोधियों पर हमलावर होंगे।
एक मायने में उन्होंने गेंद भाजपा के पाले में भी यह कहकर डाल दिया कि पार्टी 1932 की समर्थक है या 1985 की। उल्लेखनीय है कि रघुवर दास के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने 1985 को कट ऑफ डेट निर्धारित किया था और इसी आधार पर स्थानीयता को परिभाषित किया गया था।
यानी राज्य गठन से 15 वर्ष पूर्व यहां निवास करने वाले स्थानीय माने जाएंगे। नियोजन नीति को हाई कोर्ट द्वारा खारिज कर दिए जाने के बाद माना जा रहा था कि इसपर बीच का रास्ता निकलेगा, लेकिन हेमंत सोरेन ने सीधी बात कहकर विरोधियों को मुश्किल में डाल दिया है। आने वाले दिनों में वे इसपर और मुखर हो सकते हैं, ताकि विरोधियों को हावी होने का मौका नहीं मिले।
भाजपा ने सदन में 1932 खतियानी को लेकर बनाया था दबाव, सीएम हेमंत सोरेन ने दिया दो टूक जवाब
भाजपा ने इस मुद्दे पर सावधानी बरतते हुए घेराबंदी की। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान इस मुद्दे पर सदन की कार्यवाही कई दिनों तक स्थगित रही। पार्टी ने लगातार दबाव बनाया। 1932 का क्या हुआ, लिखा टीशर्ट पहनकर भाजपा के विधायक सदन में भाग ले रहे थे। उन्होंने संशोधित नियोजन नीति का विरोध किया। टीशर्ट पर 60-40 नाय चलतो का नारा भी लिखा था। इसपर नियमन दिया गया तो भाजपा के विधायकों ने विरोध बंद किया।
हालांकि, भाजपा ने बार-बार सदन में यह दबाव बनाया कि मुख्यमंत्री इस बारे में रुख स्पष्ट करें, लेकिन मुख्यमंत्री ने सदन के अंतिम दिन को इसके लिए चुना। उन्होंने इस मुद्दे पर स्पष्ट बोलते हुए केंद्र सरकार और भाजपा को निशाने पर रखा।