आज से ठीक 20 वर्ष पहले भारतीय संविधान के अनुसार तत्कालीन बिहार से अलग होकर एक नए राज्य के रूप में 15 नवंबर वर्ष 2000 को अलग राज्य के रूप में निर्मित हुए झारखंड आज अपना 21 वां (स्थापना दिवस) जन्मदिन मना रहा है. 20 वर्ष पहले बिहार से अलग होकर नए राज्य के अस्तित्व में आने वाली झारखंड की कहानी भी बहुत ही रोचक रही है झारखंड राज्य भले ही वर्ष 2000 में अपने अस्तित्व में आया परंतु इसकी मांग लंबे समय से की जा रही थी
मेजर ध्यानचंद जिन्हें हॉकी का जादूगर भी कहा जाता है उनके टीम के एक सदस्य जो झारखंड से ताल्लुक रखते हैं. जिन्हें लोग जयपाल सिंह मुंडा के नाम से जानते हैं उन्होंने ही सन 1938 में राजनीतिक तौर पर झारखंड पार्टी का गठन कर झारखंड अलग राज्य की हवा को तेज किया था झारखंड के लोगों की मांग थी किस क्षेत्र में बसने वाले आदिवासियों को अपनी एक अलग पहचान मिले. झारखंड पार्टी बनने के बाद हुए पहले आम चुनाव में आदिवासी बहुल क्षेत्रों से जयपाल सिंह मुंडा की पार्टी ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करवाई जिसके बाद राज्य पुनर्गठन आयोग में झारखंड निर्माण के भी बात रखी गई परंतु राज्य अलग ना हो सका इसका मुख्य कारण बताया गया कि झारखंड में कोई विशेष भाषा नहीं है.
कई किताबें और अखबार है यह कहती है कि जयपाल सिंह मुंडा के द्वारा बनाई गई झारखंड पार्टी 1950 के दौर में झारखंड पार्टी बिहार की मुख्य विपक्षी दल के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुके थे लेकिन झारखंड पार्टी सहित झारखंड आंदोलन की उठ रही मांग को 1963 में बड़ा झटका लगा जब जयपाल सिंह मुंडा की पार्टी काबिल है कांग्रेस में हो गया विलय होने के बाद झारखंड अलग की मांग करने वाले लोगों ने छोटे-छोटे दलों के रूप में कई संगठन खड़े किए जिसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा भी शामिल है सन 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया गया जिसके बाद धीरे-धीरे राजनीतिक तौर पर झारखंड अलग की मांग तेज हुए
सन 1972 में मौजूदा झारखंड के धनबाद जिले में बिनोद बिहारी महतो और एके राय के साथ मिलकर तत्कालीन झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन ने झामुमो का गठन किया इससे पूर्व शिबू सोरेन धनबाद क्षेत्र के टुंडी इलाके में कई सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे. झारखंड मुक्ति मोर्चा निर्माण के बाद शिबू सोरेन ने झारखंड अलग की मांग को काफी तेज कर दिया इसी का नतीजा था कि 1991 के लोकसभा चुनाव में झामुमो ने अपनी एक मजबूत उपस्थिति दर्ज कराते हुए 5 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी. कहां जाता है कि लोकसभा चुनाव जीतने के बाद केंद्र की नरसिंह राव सरकार और बिहार की मौजूदा लालू प्रसाद यादव की सरकार को झामुमो ने अपना समर्थन दिया ताकि झारखंड अलग राज्य का निर्माण किया जा सके परंतु यह नहीं हो सका जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेई जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने झारखंड अलग की नींव को और मजबूत कर दिया इसी का परिणाम है कि 15 नवंबर 2000 को झारखंड अपने अस्तित्व में आया और पहले राज्यपाल के रूप में प्रभात कुमार एवं पहले मुख्यमंत्री के रूप में बाबूलाल मरांडी नेतृत्व संभाला