साल में एक बार संथाली आदिवासी समाज जुटता है. जुटान होता है लुगू पहाड़ पर लाल पनिया संथाली का पवित्र शक्तिपीठ लुगूबुरु घंटाबाड़ी है. इस स्थान की महत्ता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां उनके पूर्वजों ने लुगुबाबा के गौरवशाली संविधान और संस्कृति की रचना की थी आज तक संथाली आदिवासी समाज के लोग मानते हैं. कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर यहां देश-विदेश से हजारों की संख्या में संथाली समाज के लोग जुटते हैं
लुगुबुरू घंटाबाड़ी आदिवासी समाज का एक पवित्र धर्मस्थल है जंगल झाड़ में रहने वाले संथाली आदिवासी प्रकृति के उपासक हैं इस स्थान की महत्ता इतनी है कि यहां के छरछरिया नाले का पानी कभी नहीं सूखता है. पूरे वर्ष इसमें पानी भरा हुआ रहता है हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन झारखंड समय देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु गंज अपने अपने परिवार के साथ लुगुबाबा के दरबार में पहुंचकर आदिवासी परंपरा के अनुसार पूजा अर्चना कर अपने-अपने परिवारों की सुख शांति समृद्धि और उन्नति की मंगल कामनाएं करते हैं