झारखण्ड के प्रवासी मजदूर देश के विभिन्न हिस्सों में लॉकडाउन होने की वजह से फंसे हुए है. राज्य सरकार के द्वारा उन्हें लाने का प्रयास लगातार किया जा रहा है. श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के चलने से कुछ हद तक प्रवसियो को घर आने में राहत मिल रही है. परन्तु अभी भी बड़े-बड़े शहरो में लोग फंसे हुए है.
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लॉकडाउन के दौरान देश में पहली ट्रेन श्रमिकों को लेकर तेलंगान से रांची पहुंची थी तो वही हेमंत सरकार ने लद्दाख के लेह से प्रवासी मजदूरों को एयरलिफ्ट करा कर इतिहास रच दिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा किये गए इस पहल की जम कर तारीफ हो रही है. देश भर के नेता और पत्रकार उन्हें सबसे अच्छा मुख्यमंत्री बता रहे है.
मालूम हो की झारखण्ड सरकार की तरफ से केंद्र सरकार को पत्र लिख कर लद्दाख, अंडमान-निकोबार जैसे जगहों में फंसे झारखण्ड के प्रवासियों को राज्य वापस लाने के लिए विशेष विमान की अनुमति की मांग की गयी थी. लेकिन केंद्र सरकार के द्वारा अब तक अनुमती नहीं मिलने की बात कही जा रही है. ऐसे में प्रवासियों के सब्र की बांध टूटता देख मुख़्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विमानों के परिचालन शुरू होने के बाद निर्णय लिया की मजदूरों को अपने खर्च पर राज्य वापस लाएंगे। लद्दाख से मजदूरों को लाने में राज्य सरकार ने तक़रीबन 11 लाख खर्च किये है.
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लद्दाख के लेह से 60 प्रवासी मजदूरों को एयरलिफ्ट कर शुक्रवार को राज्य वापस लाया गया और मजदूरों के वापस आने के साथ ही झारखण्ड ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है. लॉकडाउन के बीच झारखण्ड पहला ऐसा राज्य बना जो अपने मजदूरों को एयरलिफ्ट कर राज्य वापस लाने में सफल रहा.
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लद्दाख के बाद अंडमान-निकोबार से प्रवसी मजदूरों के एक जत्थे को एयरलिफ्ट कर राज्य वापस लाया जा रहा है. लॉकडाउन होने की वजह से झारखण्ड के प्रवासी मजदूर अंडमान-निकोबार में फंसे हुए थे. उन्होने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया था की हमे जल्द से जल्द घर वापस लाया जाये। तो दूसरी तरफ राज्य सरकार केंद्र सरकार के आदेश के इंतजार कर रही थी.
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CM हेमंत सोरेन के पहल के बाद लद्दाख और फिर पोर्ट ब्ल्येर से प्रवसी मजदूरों को राज्य वापस लाया जा रहा है. पोर्ट ब्ल्येर से एयर इंडिगो की फ्लाइट से मजदूर शाम 6 बजे रांची एयरपोर्ट पहुंचेगे जहाँ से उन्हें अपने गंतव्य तक पहुँचाया जायेगा। अंडमान-निकोबार से प्रवसी मजदूरों को लाने में राज्य की हेमंत सरकार ने तक़रीबन 21 लाख की राशि खर्च की है.