पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिख कर निजी विद्यालयों की फ़ीस माफ़ी का मुद्दा उठाया है. बाबूलाल मरांडी ने अपने पत्र में कहा है की शिक्षा मंत्री निजी विद्यालय के फ़ीस माफ़ी की बात लगातार कर रहे है. इसकी हम स्वागत करते है.
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बाबूलाल ने शिक्षा मंत्री द्वारा लिए गए निर्णय का स्वागत किया है उन्होंने कहा है की लॉक डाउन की अवधि के दौरान निजी विद्यालय के बच्चो का फ़ीस नहीं लेने का आदेश सराहनीये है. इस निर्णय से अभिभावकों को राहत मिलेगी।
परन्तु इसके उलट एक समस्या सामने आ रही है. निजी विद्यालयो द्वारा ये तर्क दिया जा रहा है की उनके यहाँ कार्य कर रहे कर्मचारियों को वेतन कैसे दिया जाये। इसपर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विचार करना चाहिए। हमे ये ध्यान रखना है की अभिभावकों पर अधिक बोझ न पड़े, कर्मचारियों को वेतन मिले तथा अन्य मुद्दों पर एक साथ विचार करने की आवश्कता है.
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मरांडी ने आगे मुख्यमंत्री से कहा की विद्यालयों को ये निर्देश दिया गया है की लॉकडाउन के दौरान की पूरी फ़ीस को माफ़ कर दिया जाए वही सरकार की तरफ से ये भी निर्देश है की लॉकडाउन की अवधि में किसी भी कर्मचारी का वेतन न कटे ऐसे में ये दोनों बात एक साथ अव्यावहारिक प्रतीत होती है. दोनों बातो का एक साथ पालन कर पाना मुश्किल है.
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बाबूलाल ने अपने पत्र में कहा की इसमें सभी के सहयोग की जरुरत है तभी इसका हल निकल सकता है. स्कूल प्रबंधन, अभिभावक और सरकार को बड़ा ह्रदय दिखाना होगा तभी सार्थक निर्णय लेने में सुविधा होगी। जो सक्षम अभिभावक है उन्हें विद्यालय का फ़ीस देना चाहिए। साथ ही विद्यालय प्रबंधन को भी समझना पड़ेगा की फ़िलहाल संकट का दौर चल रहा है.सरकार की तरफ से मुख्य सचिव की अध्यक्षता में फीस निर्धारण समिति बनाने की जरुरत है ताकि इसका रास्ता जल निकल सके.