झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) इन दिनों केस-मुकदमों को लेकर काफ़ी चर्चे में है. अवैध खनन के मामले को लेकर ईडी की तरफ़ से समन मिलने के बाद राज्य की सियासी हलचल तेज है. वही पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रतारोप का दौर जारी है. इन सब के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए झारखंड हाईकोर्ट से राहत भरी ख़बर आई है. सीएम हेमंत सोरेन पर चल रही एक मुक़दमे को अदालत ने रद्द कर दिया है.
हेमंत सोरेन को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने हेमंत सोरेन के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन की प्राथमिकी और निचली अदालत में चल रही कार्यवाही को रद्द कर दिया है। हेमंत सोरेन की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने प्राथमिकी और निचली अदालत की कार्यवाही रद्द करने का आदेश दिया।
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवत्ता कौशक सरखेल ने अदालत को बताया कि आचार संहिता उल्लंघन के मामले में सरकारी अधिकारी शिकायत दर्ज करा सकते हैं, लेकिन प्राथमिकी दर्ज कराने का अधिकार उन्हें नहीं है। लेकिन हेमंत सोरेन के मामले में सरकारी अधिकारी ने प्राथमिकी ही दर्ज करा दी है, जो नियमों के खिलाफ है। इस कारण प्राथमिकी रद्द कर देनी चाहिए। अदालत ने इस पर सहमति जताते हुए प्राथमिकी और निचली अदालत में चल रही कार्यवाही रद्द कर दी।
Hemant Soren पार्टी का पट्टा लगा कर मतदान करने गए थे
लोकसभा चुनाव में मतदान के दिन छह मई 2019 को बूथ नंबर 388 (संत फ्रांसिस स्कूल हरमू) में हेमंत सोरेन पत्नी कल्पना सोरेन के साथ मतदान करने गए थे। हेमंत सोरेन अपने गले में पार्टी का पट्टा लटकाए हुए मतदान स्थल पर पहुंचे थे। इस मामले में कार्यपालक दंडाधिकारी राकेश रंजन उरांव ने अरगोड़ा थाना में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस पर संज्ञान लेते हुए निचली अदालत मामले की सुनवाई कर रही थी।