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एक साल से बच्चे नहीं गए है विद्यालय- तीर धनुष लेकर चिड़िया मारने में गुजरता है दिन

झारखंड में शिक्षा व्यवस्था का हाल किस कदर ख़राब है ये जग जाहिर है. सरकारे आती है और जाती है लेकिन झारखण्ड बनने के 19 साल बाद भी राज्य की शिक्षा व्यवस्था नहीं सुधरी है. शिक्षा के लिए सरकरो के द्वारा करोड़ो खर्च किये जाते है लेकिन स्थिति जस की तस बनी रहती है. झारखंड में पहली बार पांच साल सरकार चलाने वाली भाजपा भी इस व्यवस्था को ठीक नहीं कर सकी. विद्यालयों को मर्ज करके शिक्षा में सुधार करने वाली बात भी सिर्फ कागजो तक सिमट कर रह गयी है.

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झारखण्ड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में एक मामला सामने आया है. पश्चिमी सिंघभूम जिले के प्रखंड टोंटो पंचायत केंजरा ग्राम तिलयाकुटी में एक विद्यालय ऐसा है जहाँ पिछले एक साल से बच्चे पढाई के लिए विद्यालय नहीं गए है. बच्चो के विद्यालय नहीं जाने का मुख्य कारण विद्यालय में शिक्षक का नहीं होना है. इस विद्यालय में एक मात्र पारा शिक्षक था जो पिछले साल यानी फ़रवरी 2019 से विद्यालय नहीं आ रहा है. जिस कारण बच्चे शिक्षा से वंचित हो गए है.

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ग्रामीणों ने जानकारी दी की इस विद्यालय में कृष्णा सामड नाम का एक पारा शिक्षक है लेकिन वह फ़रवरी 2019 से विद्यालय नहीं आ रहे है जिसके कारण विद्यालय बंद पड़ी है और बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे है. ग्रामीणों का आरोप है की विद्यालय बंद पड़ी रहने के कारण बच्चे तीर-धनुष लेकर जंगलो में चिड़िया मरने के लिए भटकते रहते है.

ग्रामीणों ने आगे कहा की विद्यालय में कुल 65 बच्चे है जो शिक्षा प्राप्त करते है. लेकिन विद्यालय बंद होने के कारण पढाई से वंचित है. दूसरा विद्यालय गाँव से चार-पांच किलोमीटर दूर है और घना जंगल होने के कारण सुरक्षा की नजर से बच्चो को विद्यालय नहीं जाने दिया जाता है. कुछ लोग है जो आपने रिश्तेदारो के यहाँ जा कर पढाई करने के लिए मजबूर है.

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जिला शिक्षा पदाधिकारी ने नहीं सुनी बात मायूस लौटे ग्रामीण:

ग्रामीणों ने कहा की ग्राम सभा के माध्यम से विद्यालय के अध्यक्ष की मौजूदगी में जिला शिक्षा पदाधिकारी के नाम के पत्र लिखा गया था, जिसमे विद्यालय से जुडी सभी समस्याएँ अंकित की गयी है. पत्र में लिखा गया की शिक्षक फ़रवरी 2019 से विद्यालय नहीं आ रहा है. साथ ही वर्ष 2018 में भी शिक्षक कृष्णा सामड सप्ताह में 2-3 दिन ही विद्यालय आते थे. विद्यालय बंद होने के कारण मध्यन भोजन भी बच्चो को नहीं मिल रहा है. विद्यालय का बैंक पासबुक भी शिक्षक कृष्णा सामड के पास है. विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष कई बार शिक्षक के घर गए लेकिन वो नहीं आये.

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ग्रामीणों के द्वारा जब इन बिन्दुओ को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी के पास लिखित शिकायत की गयी तो अधिकारी ने उनकी अर्जी लेने से मना कर दिया और ये कहते हुए टाल दिया की ये विद्यालय शिक्षा परियोजन के अंदर आता है इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते है. जिसके बाद ग्रामीण मायुश होकर अपने गाँव लौट गए. यह विद्यालय जिस विधानसभा में आता है वहाँ से अभी झामुमो के दीपक बिरुआ विधायक है. ग्रामीणों को उम्मीद है की सरकार बदली है तो उनकी समस्या का समाधान भी होगा।