झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार राज्य गठन के बाद ऐसी दूसरी सरकार बन रही है, जो अपना 1000 दिन का कार्यकाल पूरा किया हैं. आज 23 सितंबर यानी शुक्रवार को यह पूरा हुआ. इससे पहले केवल रघुवर दास सरकार को ही यह उपलब्धि हासिल करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था. हेमंत सोरेन की पार्टी झामुमो और उसकी सहयोगी कांग्रेस द्वारा यह दावा किया जाता रहा है कि इन 1,000 दिनों में सरकार ने तरक्की के जो काम किए, नीतिगत फैसले लिए, वो पिछले 18 वर्षों में नहीं हुए. इन दावों में विधानसभा से पहली बार सरना धर्म कोड को पास करने, 1932 की खतियान आधारित स्थानीय नीति, ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने जैसे ऐसे कई महत्वपूर्ण फैसले हैं, जो पूरी तरह से झारखंडी अस्मिता, आदिवासियों के हित में लिए गए.
बता दें कि 29 दिसंबर 2019 को झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने कांग्रेस और राजद के साथ गठबंधन कर पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता की कमान संभाली थी. इससे पहले 13 जुलाई 2013 से 23 दिसंबर 2014 तक वे कांग्रेस और राजद के समर्थन से वे मुख्यमंत्री रहे थे. इससे पहले अर्जुन मुंडा सरकार में वे उपमुख्यमंत्री के पद पर काबिज रहे.
सरकार बनने के बाद कोरोना ने जकड़ा, सीमित संसाधनों के साथ स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरस्त करने, लोगों तक अनाज और राहत पहुंचाने पर रहा ध्यान:
हेमंत सरकार के मौजूदा कार्यकाल की शुरुआत कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के साथ हुई. सरकार के तीन माह भी पूरे नहीं हुए कि कोरोना महामारी के कारण मार्च 2020 में देशव्यापी लॉकडाउन लग गया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर तब पूरा सिस्टम स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरस्त करने, लोगों तक अनाज और राहत पहुंचाने और प्रवासी मजदूरों के सुरक्षित घर वापसी पर केंद्रित रहा. झारखंड देश का पहला राज्य बना, जहां के प्रवासी मजदूरों की ट्रेनों से घर वापसी करायी गयी. देश के सुदूर लेह-लद्दाख में फंसे मजदूरों को पहली बार विमान से झारखंड लाया गया. दावा किया गया कि लॉकडाउन अवधि में लगभग 8 लाख प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित वापसी करायी गयी. कोरोना के पहले फेज में ही सरकार ने रोजगार को लेकर कई योजनाओं की शुरुआत की. इसमें बिरसा हरित योजना, नीलांबर पीतांबर जल समृद्धि योजना, पोटो खेल विकास योजना, मुख्यमंत्री शहरी श्रमिक योजना और खिलाड़ियों की पहली बार सीधी नियुक्ति प्रक्रिया देने का काम हुआ.
आदिवासी हितों को साधने के लिए विधानसभा से सरना धर्म कोड के प्रस्ताव को पारित कर केंद्र को भेजा:
कोरोना की रफ्तार जब कम हुई, तब हेमंत सरकार ने नवंबर 2020 में झारखंड विधानसभा से सरना धर्म कोड प्रस्ताव पास कर केंद्र को भेजा गया. उद्देश्य था, राज्य के आदिवासियों को पहचान दिलाना. ऐसा करने वाली हेमंत सोरेन सरकार झारखंड की पहली सरकार बनी. 2021 में एक बार फिर से कोरोना की दूसरी लहर आ गयी. यह लहर पहले से ज्यादा भयावह थी. झारखंड के काफी लोग इस आपदा के शिकार हुए. हालांकि लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मिलने में परेशानी नहीं हो, इस पर मुख्यमंत्री काम करते रहे. इस दौरान जब देश में ऑक्सीजन की किल्लत होने लगी, तो मुख्यमंत्री ने स्वयं कई राज्यों में ऑक्सीजन सिलेंडर भेजने का काम किया.
1000 दिन में लिए गए कई अहम फैसले
कोरोना से लड़ाई लड़ते और विकास को आगे बढ़ाते हेमंत सरकार ने शुक्रवार को 1000 दिन पूरे किए. इस दौरान ऐसे कई कार्य किए गए, जिसकी मांग लंबे समय से की जा रही थी. इनमें शामिल हैं :
• झारखंड पत्रकार बीमा को लांच किया गया.
• नेतरहाट क्षेत्र में तीन दशकों से चल रहे आदिवासी आंदोलन को बड़ी जीत मिली. हेमंत सरकार ने सरकार ने नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अवधि विस्तार रद्द कर दी. 11 मई 2022 को इसकी अवधि समाप्त हो गई थी जिसे आगे बढ़ाया जाना था. इसे आदिवासियों की एक बड़ी जीत मानी गयी.
• पारा शिक्षकों की लंबित मांगों का निपटारा हुआ. इनके लिए एक नियमावली बनायी गयी.
• आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं के मानदेय में बढ़ोतरी की गयी. इनके लिए भी एक नियमावली बनी.
• पुरानी पेंशन योजना को दोबारा शुरू किया गया. इससे राज्य के सवा लाख सरकारी कर्मी लाभान्वित हुए.
• सबसे बढ़कर राज्य में 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी वर्ग के आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने के प्रस्ताव को कैबिनेट से स्वीकृति मिली.