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Hemant Soren: किसान बिल पर बोले CM हेमंत सोरेन, केंद्र की मनमानी ऐसे ही चली तो राज्य में उलगुलान होगा।

केन्द्र सरकार द्वारा लोकसभा से किसान बिल पारित किये जाने के बाद मुद्दा गर्म हो गया है। कई किसान संगठनो ने 25 सितंबर को सड़क पर उतर बिल का विरोध किया है और केन्द्र सरकार से मांग की गई है कि बिल को वापस लिया जाए। किसान बिल को लेकर झारखंड की सत्ताधारी धल के कार्यकारी अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रेस कान्फ्रेंस कर केन्द्र सरकार पर जमकर हमला बोला है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कृषि बिल को लेकर कहा कि केंद्र की मनमानी ऐसे ही चलती रही तो राज्य में उलगुलान होगा। लोग सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि कृषि बिल में किसानों के हित की बात का कोई अता-पता नहीं है। बिल को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि इससे सिर्फ व्यापारियों, कंपनियों को फायदा होगा।

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मुख्यमंत्री झारखंड मंत्रालय़ में कृषि बिल को लेकर संवाददाताओं से मुखातिब थे। उनके साथ ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम भी मौजूद थे।
कृषि बिल देश के संघीय ढांचे पर सबसे बड़ा आघात
मुख्यमंत्री ने कृषि बिल को देश के संघीय ढांचे पर सबसे बड़ा आघात बताते हुए कहा कि एक तो केंद्र सरकार ने राज्य के विषय पर अतिक्रमण कर कानून बनाया और दूसरी ओर राज्यों से इस संबंध में जरूरी मशविरा तक नहीं किया। उन्होंने कहा कि अगर कानून बनाया भी, तो उसे लागू करना राज्यों पर छोड़ना चाहिए था, ताकि बिल के गुण-दोष की विवेचना कर राज्य उसे लागू करने के लिए स्वतंत्र होते। लेकिन, केंद्र सरकार तानाशाही रवैया अपनाते हुए उसे राज्यों पर थोप रही है। उन्होंने कहा कि देश के हर राज्य में खेती-बारी की अलग-अलग व्यवस्था है, इस स्थिति में पूरे देश के लिए एक प्रकृति का कृषि कानून अतार्किक है। उन्होंने कानून की खामियों को इंगित करते हुए कहा कि यह एक ऐसा बिल है, जो किसी समय-सीमा में नहीं बंधा है, बल्कि स्थायी है।कृषि बिल से नये रंग-रूप में एक बार फिर महाजनी प्रथा लागू होगी

हेमंत सोरेन ने कहा कि कृषि बिल से एक बार फिर महाजनी प्रथा लागू होगी। वही महाजनी प्रथा जिसके खिलाफ झारखंड के लोगों ने वर्षों आंदोलन किया। उसे जड़ से उखाड़ने का काम किया। उन्होंने कहा कि ये महाजन ही अनुबंध पर किसानों की खेत में फसल लगवायेंगे और फसल का मनमर्जी मूल्य तय करेंगे। क्योंकि कृषि बिल में यह स्पष्ट नहीं है कि अनुबंध पर किसानों के खेत में फसल लगवानेवाले फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य देंगे। वहीं बीच में किसान से अनुबंध टूटने पर किसानों को न्याय के लिए अदालतों का चक्कर काटना पड़ेगा। इस स्थिति में समस्याग्रस्त किसान के सामने आत्महत्या के सिवा कोई चारा नहीं बचेगा। जमाखोरी पर अंकुश खत्म हो जाएगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कृषि बिल से जमाखोरों की बन आएगी। जमाखोरी पर अंकुश खत्म होने से महाजन मनमाना मूल्य निर्धारित करने लगेंगे। उन्होंने चाणक्य के कथन का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस देश का राजा व्यापारी होगा, उस देश की जनता भिखारी ही होगी। उन्होंने आलू-प्याज की बढ़ती कीमतों का जिक्र करते हुए कहा कि हमें कब क्या खाना है, उसे भूलना पड़ेगा।

कृषि बिल को किसानों पर थोपा गया है:-

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने येन-केन-प्रकारेण संविधान से प्रदत शक्तियों का दुरुपयोग कर कृषि बिल को संसद से पारित कर किसानों पर थोपा है। यही कारण है कि देश के तमाम राज्यों के किसान आंदोलित हैं। उन्होंने कहा कि समझ में नहीं आ रहा कि प्रधानमंत्री देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं। पहले जीएसटी, कोल निलामी, शिक्षा नीति आदि पर एकतरफा फैसला लिया और अब कृषि बिल पर भी वही रवैया अपनाया है।

राज्य में ढाई सौ करोड़ से ग्रामीण अधारभूत संरचना का होगा निर्माण:-

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए संरचनागत बदलाव की ओर बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि गांवों तक आधारभूत संरचना विकसित करने के लिए नाबार्ड के साथ मिलकर सरकार ढाई सौ करोड़ रुपये का प्रावधान करने जा रही है। उन्होंने कहा कि इसका मुख्य मकसद यह है कि किसानों को बिचौलियों की जरूरत नहीं पड़े। उसके पहले मुख्यमंत्री ने कोरोना काल में मीडिया कर्मियों की भूमिका की सराहना करते हुए उनका शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि कोरोना के डर से जब लोग घरों में कैद थे, तो मीडियाकर्मी ही थे जो उन्हें देश-दुनिया की खबरों से अवगत कराते रहे।

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