झारखण्ड में लगातार कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है. रांची का हिंदपीढ़ी इलाका कोरोना का हॉटस्पॉट बन चूका है. राज्य में अब तक कुल 33 कोरोना पॉजिटिव पाए गए है तो वही अब तक 2 लोगो की मौत कोरोना की वजह से हो चूका है. झारखण्ड के मजदूर वर्ग के लोग बड़े पैमाने पर दूसरे राज्यों में फंसे है उनके सामने खाने-पीने की समस्या सबसे बड़ी है. हेमंत सरकार की ओर से राज्य के बाहर फंसे लोगो को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए एक एप लॉन्च किया गया है.
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राज्य भर में दाल-भात केंद्र सहित मुख्यमंत्री दीदी किचन योजना प्रत्येक पंचायत और पुलिस थानों की मदद से जरूरतमंद एवं गरीबो को खाना खिलाया जा रहा है. साथ ही राशन कार्ड धरियो को दो महीने का राशन और राशन कार्ड के लिए आवेदन कर चुके लोगो को 10 किलोग्राम राशन दिया जा रहा है. सोशल मीडिया के माध्यम से लोग अपनी परेशानी मुख्यमंत्री तक पहुंचा भी रहे है जिसके बाद हेमंत सोरेन के द्वारा सम्बंधित अधिकारी को निर्देश दे कर मामले का सुलझाया जा रहा है.
CM हेमंत सोरेन ने दी प्रिंट के पत्रकार आनंद दत्त को दिए इंटरव्यू में कहा की तब्लीग़ी के कारण कोरोना नहीं आया है, धर्म देखकर बीमारी नहीं फैलती है. हेमंत सोरेन ने कहा की आपदा किसी भी धर्म समुदाय देख कर नहीं आता है. तब्लीग़ी जमात को लेकर कुछ लोग राजनीती कर रहे है और माहौल ख़राब करने की कोशिश कर रहे है. ये महज एक संयोग है. जो लोग ये कह रहे है की तब्लीग़ी जमात के कारण कोरोना फैला है तो उनसे पूछना चाहिए की दूसरे देशो में कोरोना कैसे फैला। जमात कोई नयी चीज़ नहीं है. बहुत पहले से होते आ रहा है.
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केंद्र सरकार को घेरते हुए हेमंत सोरेन ने कहा की तब्लीग़ी जमात के बारे में केंद्र को पहले से ही मालूम था. जो भी लोग अन्य देशो से भारत जमात में शामिल होने आये थे उन्हें अनुमति तो केंद्र सरकार के द्वारा ही दिया गया था. बिना केंद्र सरकार की अनुमति के कोई भी दूसरे देश से भारत नहीं आ सकता है ये सभी को मालूम है. लेकिन जानबूझ कर इसे एक मुद्दा बनाया गया. हिंदपीढ़ी के बारे में हेमंत सोरेन ने कहा की हमने हिंदपीढ़ी को पुरे तरीके से लॉकडाउन कर दिया है. घर-घर लोगो की जाँच की जा रही है. घर-घर लोगो को राशन पहुंचाया जा रहा है.
प्रवासी मजदूरों पर बोले CM होगी घर वापसी:
राज्य के मुखिया हेमंत सोरेन ने पत्रकार आनंद दत्त को प्रवासी मजदूरों के बारे में जानकारी देते हुए कहा की जिस प्रकार स्थिति राज्य में अभी है प्रवसी मजदुर जो राज्य के बाहर फंसे उनके आने के बाद ऐसे नहीं होगी क्यूंकि उनकी संख्या बहुत ज्यादा होगी साथ ही उनकी जाँच भी करना हमारी जिम्मेदारी है. ऐसी स्थिति में उनके आने के बाद स्थिति में बदलाव देखने को मिल सकता है. लेकिन राज्य सरकार हर मोर्चे पर सफल होगी। प्रवासी मजदूरों के आने के बाद सिटी से निपटने के लिए हम बिल्कुल तैयार है. लेकिन हमे केंद्र सरकार के सहयोग की जरुरत होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा की वापस आने वाले प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने भी एक चुनौती होगी क्यूंकि अगर अन्य राज्यो की करे तो मनरेगा की मजदूरी दर 250रु से लेकर 350रु तक है लेकिन झारखण्ड में 200रु भी नहीं है. इस विषय को हमने प्रधानमंत्री जी के सामने रखा है और मांग की है राज्य में मनरेगा मजदूरी दर 300रु किया जाये। मनरेगा में मजदूरी कम होने के कारण ही झारखंड के मजदूर वर्ग के लोग राज्य के बाहर रजोगार की तालाश में जाते है. अगर मजदूरी दर ज्यादा होती तो इतनी बड़ी संख्या में लोग बाहर जा कर मजदूरी नहीं कर रहे होते।
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CM ने कहा की राज्य में वापस लौटने वालो के लिए कृषि, मनरेगा स्थित अन्य उन पहलुओ को तलाशा जा रहा है जिनसे मजदूरों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके. क्यूंकि लॉकडाउन खत्म होने के तुरंत बाद फैक्ट्री और कारखाने नहीं खुलेंगे ऐसे में उनके सामने रोजगार का आभाव होगा और उसकी को दूर करने के लिए हम लगातार तैयारी कर रहे है.
Source: ThePrint
Credit: The Print, Anand Dutta ( Freelance journalist )