झारखण्ड के गढ़वा और पलामू जिलों के खेतों की सिंचाई के लिए बन रही कनहर बराज परियोजना के कार्यों को तेज करने का निर्देश मुख्य सचिव डॉ. डी के तिवारी ने दिया है। उन्होंने बराज के सभी प्राथमिक कार्यों की समय सीमा तय की और अधिकारियों को निर्देश दिया कि तय समय सीमा के भीतर अनुपालन सुनिश्चित करें। साथ ही, छत्तीसगढ़ और झारखंड के जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता को आपस में मिलकर दोनों राज्यों की सीमा पर स्थित जमीन की मालिकाना स्थिति 28 फरवरी तक स्पष्ट कर संयुक्त रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। मुख्य सचिव झारखंड मंत्रालय में कनहर बराज प्रोजेक्ट की गतिविधियों की समीक्षा कर रहे थे। मालूम हो कि प्रोजेक्ट से जुड़ी 58.01 हेक्टेयर जमीन को झारखंड छत्तीसगढ़ की सीमा में मान रहा है, लेकिन छत्तीसगढ़ का कहना है कि यह जमीन 79.55 हेक्टेयर है। सीमा रेखा पर स्थित इस जमीन की वास्तविक स्थिति स्पष्ट नहीं होने से भी प्रोजेक्ट का काम में अपेक्षा के अनुरूप प्रगति नहीं हो पा रही है।
प्रोजेक्ट का सर्वाधिक लाभ गढ़वा को मिलेगा:
छत्तीसगढ़ से झारखंड में प्रवेश करनेवाली कनहर नदी पर बराज बनने से इसका सर्वाधिक लाभ गढ़वा जिले के किसानों को होगा। गढ़वा के भवनाथपुर, विशुनपुर, चिनिया, डंडई, धुरकी, गढ़वा, कांडी, केतार, मझिआंव, मेराल, नगर उंटारी, रमना, रंका और पलामू के चैनपुर प्रखंड के खेतों को बराज के पानी से सिंचित करने की योजना है।