कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह झारखण्ड कांग्रेस के प्रभारी है. इनकी देख-रेख में ही फ़िलहाल झारखण्ड कांग्रेस चल रही है. लोकसभा के बाद राज्यसभा में टिकट नहीं मिलने के बाद पूर्व सांसद डॉ फुरकान अंसारी ने आरपीएन के खिलाफ बगावती तेवर को तेज कर दिया है.
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लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था. जिसमे कांग्रेस सबसे ज्यादा सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी थी. इस गठबंधन में कांग्रेस, झामुमो, राजद और बाबूलाल की पार्टी झाविमो थी जिसका विलय अब भाजपा में हो चूका है. फुरकान अंसारी गोड्डा सीट से सांसद रह चुके है ऐसे में उनकी दावेदारी सबसे मजबूत थी लेकिन गठबंधन होने से ये सीट झाविमो के खाते में चली गयी और फुरकान अंसारी का टिकट काट प्रदीप यादव को चुनावी मैदान में उतारा गया.
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लोकसभा चुनाव में जब फुरकान अंसारी को टिकट नहीं मिला तो कांग्रेस पार्टी की तरफ से दलील दी गयी की राजयसभा चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय से प्रतिनिधि भेजा जाएगा। उस वक़्त सबको लगा की फुरकान अंसारी को अब राज्यसभा जाने की तैयारी करनी चाहिए लेकिन जब राज्यसभा चुनाव की बरी आयी तो सभी नेता फुरकान अंसारी के नाम से परहेज करने लगे. और कांग्रेस ने राज्यसभा के अपने कोटे से शहज़ादा अनवर को टिकट दिया तो वही महागठबंधन की और से दूसरी सीट पर झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन राज्यसभा के लिए मैदान में है.
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डॉ फुरकान अंसारी ने झारखण्ड प्रभारी आरपीएन सिंह पर आरोप लगते हुए कहा है की आरपीएन धोखेबाज इंसान है और पैसे की लालच में कुछ भी कर सकते है. गुरुवार को प्रत्याशी की घोषणा के साथ ही उन्होंने कहा कि आरपीएन दो नंबर के आदमी हैं और प्रदेश में कांग्रेस को बेचने का काम कर रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि झारखंड को उन्होंने पैसे कमाने का अड्डा बना लिया है। शहजादा से कोई नाराजगी नहीं है, लेकिन कोई पार्टी को अपनी जागीर समझे तो हमारे जैसे पुराने कांग्रेसी बर्दाश्त नहीं करेंगे। फुरकान अंसारी ने ये भी कहा की झारखण्ड में महागठबंधन को जो जीत मिली है उसमे आरपीएन का कोई हाथ नहीं है. रघुवर दास की विफलता और हेमंत सोरेन की वजह से इतनी सीट आयी है.