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नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना के तहत पांच वर्षो में 1200 करोड़ खर्च करने की तैयारी में सरकार

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देश सहित झारखण्ड भी कोरोना महमारी से दो-दो हाथ करने में लगा है. बड़ी सख्या में राज्य के मजदूर पलायन कर दूसरे राज्यों में काम की तलाश में गए थे वो अब अपने राज्य वापस लौट रहे है. कारखाने बंद होने के कारण उनके सामने सबसे बडी चुनौती घर चलाना है. काम न होने के कारण वो अब बेरोजगार है और इस दुविधा में है की आगे काम कैसे मिलेगा।

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लॉकडाउन के बीच झारखण्ड सरकार के द्वारा मजदूरों के लिए तीन योजनाए शुरू की गयी है. राज्य की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की हरसंभव कोशिश हेमंत सरकार कर रही है. राज्य वापस लौट रहे मजदूरों की सामने रोजगार की समस्या सबसे विक्राल है. राज्य वापस लौट रहे मजदूरों को राज्य में ही रोजगार मिले इसके लिए राज्य सरकार ने तीन योजनाए शुरू की है. जिनमे से एक नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना भी है.

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नीलाम्बर-पीताम्बर जल समृद्धि योजना के तहत राज्य सरकार पांच वर्षो में 1200 करोड़ रूपये खर्च कारेगी। जल संरक्षण से जुड़ी इस योजना को कार्यान्वित कर तत्काल रोजगार के साधन तो सृजित किए ही जाएंगे, भविष्य के लिए जल भी सहेजा जाएगा ताकि खेतों को पानी मिले। ऊपरी जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़े। ठहरे हुए नदी-नालों में जल का प्रवाह तेज हो। मुख्यमंत्री ने इस योजना को चार मई को लांच किया था, अब इस योजना पर अमल शुरू हो चुका है। 1200 करोड़ रुपये की इस पंचवर्षीय येाजना की सबसे बड़ी खासियत है कि कुल लागत का 90 प्रतिशत सिर्फ मजदूरी मद में भुगतान किया जाएगा। दस करोड़ मानव कार्य दिवस का सृजन तो होगा ही।

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इस योजना को मनरेगा के तहत चलाया जायेगा। विस्तृत ब्लू प्रिंट तैयार कर उस पर अमल की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पहले साल पांच लाख हेक्टेयर भूमि का ट्रीटमेंट किया जाएगा। खेत का पानी खेत में रोकने के लिए प्रत्येक पंचायत के लिए औसतन 200 हेक्टेयर का टास्क तय किया गया है। झारखंड एग्रो क्लाइमेटिक जोन-7 में आता है, इसे आधार मानकर ही ब्लू प्रिंट का खाका इसी को आधार बना बुना गया है।

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वर्षा जल को ऊपर ही रोका जायेगा। इसके लिए दो तरह की टांड़ भूमि की मेढ़बंदी की जाएगी। जहां 5-20 प्रतिशत का ढलान है, वहां ट्रेंच कम बंड बनाए जाएंगे। जहां, पांच प्रतिशत से कम ढालान है उन खेतों में फील्ड बंड बना पानी को बहने से रोका जाएगा। इतना ही नहीं नलों को पुनर्जीवित करने का कार्य भी दो हिस्सों में किया जाएगा। बोल्ड स्ट्रक्चर बनाए जाएंगे। सूखे व बहते हुए नाले से गाद निकालकर उन्हेंं पुनर्जीवित किया जाएगा। ताकि रुके हुए नाले रेंग सकें और रेंगने वाले नाले दौड़ सकें।