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Jharkhand: आंदोलनकारियों और शिबू सोरेन के सपनों को पूरा कर रही हेमंत सरकार, राज्य गठन के बाद मिल रहा सम्मान

Jharkhand: 30 जून 2022, 167वां हूल दिवस, स्थान कांके रोड स्थित सिदो- कान्हू पार्क में वीर शहीद सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने पहुंचे झारखंड राज्य निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने कहा था कि राज्य में अभी झारखंडियों की सरकार है. यह वह सरकार है जहां वीर शहीदों के लिए काम किया जाएगा.

शिबू सोरेन चाहते हैं कि झारखंड की भावी पीढ़ी और युवा होनहार झारखंड के शहीदों के बारे में जानें. युवा जानें कि कैसे देश और राज्य को कराने में हमारे पूर्वजों ने कुर्बानियां दीं. शिबू सोरेन ने कहा था कि वे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस बारे में बात करेंगे कि सरकार स्कूली स्तर पर ही बच्चों को वीर शहीदों की जीवनी की शिक्षा देने का काम करे.

गुरुजी शिबू सोरेन की इस इच्छा के अनुरूप झामुमो कार्यकारी अध्यक्ष सह सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पहले ही शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो को इस दिशा में काम करने का निर्देश दिया था. ऐसा कर आंदोलनकारी पार्टी होने के दावे और राज्य निर्माता शिबू सोरेन के सपनों को मुख्यमंत्री की पार्टी झामुमो पूरा कर रहा है.

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Jharkhand: शिबू सोरेन, विनोद बिहारी महतो तथा निर्मल महतो की जीवनी को शामिल करने का शिक्षा मंत्री ने दिया था निर्देश

23 मई को ही शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा था कि सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रमों में शिबू सोरेन, झारखंड राज्य आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले विनोद बिहारी महतो तथा निर्मल महतो की जीवनी शामिल किया जाएगा. इसके लिए उन्होंने तत्कालीन शिक्षा सचिव को इस दिशा में पहल करने का निर्देश भी दिए. जगरनाथ महतो ने कहा था कि झारखंड राज्य के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इन व्यक्तिव की जानकारी राज्य के बच्चों को होनी चाहिए.

Jharkhand: जनभावनाओं का भी शिक्षा मंत्री ने रखा ख्याल, स्वतंत्रता सेनानियों की नामों की संख्या को बढ़ाया

शिबू सोरेन, विनोद बिहारी महतो और निर्मल महतो के ही जीवनी को शामिल करने से राज्य के युवाओं और लोगों ने कुछ नाराजगी जाहिर की. इस पर शिक्षा मंत्री ने जनभावनाओं का ख्याल करते हुए फैसला किया कि झारखंड के सरकारी स्कूलों में क‌ईं स्वतंत्रता सेनानी, महापुरुष, झारखंड आंदोलनकारी, खिलाड़ी समेत विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल करनेवालों की जीवनी स्कूली बच्चों को पढ़ाया जाएगा. इसकी तैयारी कर ली गई है. झारखंड शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद (जेसीइआरटी) ने झारखंड के ऐसे 42 लोगों की जीवनी तैयार की है.

Jharkhand: ऐसा पहली बार नहीं, जब सोरेन सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों या आंदोलनकारियों के हित में कोई निर्णय लिए हो

राज्य गठन के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है, जब कोई सरकार स्कूली बच्चों को झारखंड के स्वतंत्रता सेनानियों व हस्तियों की जानकारी देगी. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि हेमंत सोरेन सरकार स्वतंत्रता सेनानियों या आंदोलनकारियों के हित में कोई निर्णय लिए हो.

  • राजधानी स्थित पुराने जेल परिसर में 16 नवंबर 2021 को भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय के उदघाटन समारोह में पहुंचे मुख्यमंत्री ने कहा था कि सरकार राज्य के सभी वीर सपूतों की संघर्षमय जीवनी को आनेवाले समय में संग्रहालय से जोड़ने का काम करेगी. इससे आनेवाली पीढ़ियों को जानकारी से प्रेरणा मिल सकेगी.
  • 29 नवंबर 2021 को सरकार आपके द्वार कार्यक्रम को लेकर लातेहार के कोने ग्राम पहुंचे मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानी नीलांबर-पीतांबर के वंशज को सम्मानित किया. हेमंत सोरेन ने कहा कि वीर शहीद के वंशज यहां निवास करते हैं. कहा कि यहां की भौगोलिक बनावट ऐसी थी कि राज्य बनने के बाद यहां के अंतिम व्यक्ति तक सरकार की आवाज नहीं पहुंच पाई. आज उनकी सरकार गांव तक पहुंच कर उनका विकास कर रही है.
  • दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद 1 जनवरी 2020 को खरसावां गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शहीदों के परिजनों को सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया था. इससे पहले जब जुलाई 2013 से दिसंबर 2014 तक जब हेमंत पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने थे तब गुवा गोलीकांड के शहीदों के परिजनों को खोज-खोज कर नौकरी दी थी. अपने दूसरी बार मुख्यमंत्री बनते ही हेमंत सोरेन ने कहा कि खरसावां में जिन शहीदों के परिजन नौकरी करने की स्थिति में नहीं होंगे उन्हें पेंशन दी जाएगी. इसके लिए उन्होंने हेमंत सोरेन ने खरसावां गोलीकांड से जुड़े दस्तावेज खोज कर निकालने और उसके आधार पर शहीदों की पहचान कर उनके परिजनों को राहत देने का काम शुरू किया है.
  • जून 2022 को हेमंत सोरेन ने ऐलान किया कि राज्य के किसी भी आंदोलन में किसी भी तरह की भूमिका निभाने वालों को लोगों को उनकी सरकार 3,500 रुपये से लेकर 7,000 रुपये तक की पेंशन और दूसरे सुविधाएं देगी. आंदोलनकारी की मृत्यु की स्थिति में उनके आश्रितों को यह लाभ मिलेगा.