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रिम्स की व्यवस्था से हाईकोर्ट नाराज़ कहा, सलाना मिलने वाले 100 करोड़ का क्या किया जाता है

झारखंड हाईकोर्ट ने रिम्स की व्यवस्था को लेकर एक बार फिर सवाल पूछा है। अदालत ने रामरस में डॉक्टर और नर्स के पद रिक्त होने पर कड़ा एतराज़ जताया है। अदालत ने पूछा कि वर्तमान में कोरोना महामारी ने तेजी से पैर पसारे है ऐसे में जब रिम्स के आधे पद रिक्त है तो फिर काम और मरीजो का इलाज किस तरहा से किया जा रहा है। अदालत ने यह भी कहा कि जब एक जस्टिस कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद रिम्स में भर्ती होते है तो 17 दिनो तक प्रबंधन की तरफ से चादर नहीं बदला जाता है। तो फिर अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम आदमी के साथ किस प्रकार का व्यवहार किया जाता होगा।

हाईकोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया करते हुए पूछा कि रिम्स को सालाना 100 करोड की राशि उपलब्ध कराई जाती है बड़ी मात्रा में राशि उपलब्ध होने के बावजूद आखिर कौन सी वजह है जो नियुक्ति और व्यवस्था ठीक ढंग से नहीं हो पा रही है। अदालत ने रिम्स के प्रभारी निदेशक और राज्य के स्वास्थ्य सचिव को 1 अक्टूबर के दिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित रहने के लिए कहा है साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि इतनी बड़ी राशि मिलने के बाद भी जब व्यवस्था ठीक नहीं हो पा रही है तो क्यों ना राशि का ऑडिट किया जाए।

मालूम हो कि समय-समय पर राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के अव्यवस्था की खबरें सामने आती है। ऐसे में आम जनता हो यह उन्हें वह सुविधा नहीं मिल पाती है जो सुविधा एक सरकारी पताल में मिलनी चाहिए जबकि एक बड़ी राशि सालाना उपलब्ध कराई जाती है इतनी बड़ी राशि मिलने के बाद भी अगर व्यवस्था नहीं सुधरती है तो जनता भगवान भरोसे ही है।