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रामगढ़ उपचुनाव में भाजपा-आजसू मिलकर भी नहीं तोड़ सकती हेमंत सोरेन का रचा चक्रव्यूह

रामगढ़ उपचुनाव में भाजपा-आजसू मिलकर भी नहीं तोड़ सकती हेमंत सोरेन का रचा चक्रव्यूह 1

झारखंड की सियासत में रामगढ़ विधानसभा का एक अहम भूमिका रहती है. प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी भी रामगढ़ से चुनाब लड़ चुके है. साथ ही आजसू पार्टी के लिए रामगढ़ की सीट सबसे महत्वपूर्ण रही है. हेमंत सोरेन अब चुनावी रण में उतर चुके है.

परंतु इस बार का उपचुनाव सबसे अलग और रोचक है क्यूंकि यहाँ की विधायक रही ममता देवी जेल में है और उनकी पति बजरंग महतो अपने नवजात बच्चे के साथ चुनावी मैदान में है और जोर-सोर से चुनावी कार्यक्रमों में व्यस्त है. यह चुनाव भाजपा-आजसू के लिए भी नाक की लड़ाई इसलिए बन गई है क्यूंकि 2015 के बाद राज्य में जितने भी उपचुनाव हुए है उनमें महागठबंधन का नेतृत्व सीएम हेमंत सोरेन ने किया है और सभी उपचुनावों में जीत हासिल की है. वहीँ भाजपा और आजसू को हार का सामना करना पड़ा है.

यूपी-बिहार के लोग नियोजन नीति को हाईकोर्ट में दे रहे हैं चुनौती : सीएम हेमंत

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी आदिवासी को मोहरा बनाकर उनका हक मार रही है। सरकार ने 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति व नियोजन नीति बनाई थी। भाजपा व उसकी सहयोगी पार्टी आजसू ने नियोजन नीति को रद्द करवाने के लिए यूपी और बिहार के लोगों के जरिए उसे हाईकोर्ट चुनौती देकर रद्द करवाया गया। उन्होंने कहा कि भाजपा-आजसू के मंशा को कभी सफल नहीं होने देंगे। जल्द ही सरकार ऐसी नियोजन नीति बनाएगी। जिसे चाह कर भी भाजपा-आजसू आदिवासियों व मुलवासियों के हक को छिन नहीं सकेगा।

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उन्होंने कहा कि झारखंड में जब भाजपा की सरकार थी तो उसने ऐसी स्थानीय नीति बनाई थी कि यहां की जनता एक दूसरे के खुन की प्यासी बन गई थी। लेकिन उनकी स्थानीय नीति का यहां की जनता ने ढोल नगाड़े से स्वागत किया है। सरकार की लोकप्रियता को देख कर भाजपा-आजसू के पेट में दर्द हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरना धर्म कोड लागू करने के लिए एक वर्ष पहले विधान सभा का प्रस्ताव के केंद्र भेजा गया है। लेकिन केंद्र सरकार आज तक स्वीकृति नहीं दी है। जिसके कारण सरना धर्म कोड को लागू नहीं किया जा सका है।

विपक्ष से लेकर सत्ता तक की लड़ाई में हेमंत ने विरोधियों को किया है धराशाही

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जब विपक्ष में थे तब भी विरोधियों की रणनीति को सफ़ल होने नहीं देते थे वहीँ आज जब वे सत्ता में है तब भी भाजपा-आजसू के नेता सिर्फ बयानबाजी करते नज़र आते है इससे सीएम की लोकप्रियता पर कोई असर होता दिखाई नहीं देता है. सिल्ली विधानसभा के उपचुनाव में झामुमो की सीमा महतो ने ही आजसू के सुप्रीमो सुदेश महतो को हराया था. वहीं गोमिया में भी झामुमो की बबिता महतो ने आजसू के लम्बोदर महतो को पराजित कर सीट जीतने में कामयाब रही थी. यह हेमंत सोरेन का ही नेतृत्व का नतीज़ा है की दुमका, बेरमो, मधुपुर, मांडर जैसे उपचुनावों में गठबंधन ने जीत हासिल कर अपना परचम लहराया है. रामगढ़ उपचुनाव में भी कुछ ऐसा ही होता दिखाई देने वाला है यह कहा जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी.

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