सबसे अधिक आवेदन झारखंड खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राशन कार्ड और सामाजिक सुरक्षा अंतर्गत पेंशन आदि के लिए प्राप्त हुए हैं। इनमें आवेदनों की संख्या 25- 25 हजार के करीब है। दूसरी ओर आजीविका और आवास से संबंधित आवेदनों की संख्या भी 20-20 हजार से अधिक मिली है। लोग पेयजल और कृषि संबंधी योजनाओं के लिए भी आवेदन कर रहे हैं।
इन सब के बिच चौकाने वाले मामलें सामने आ रहे है की भाजपा और आजसू पार्टी के विधायक, सांसद इन कार्यक्रमों से दुरी बना रहे है. जिस जनता की बदौलत वह जीत कर सदन तक पहुँचते है और हर सुख सुविधा का आनंद लेते है लेकिन जब बात जनता को हक्क और अधिकार दिलाने में सहयोग करने की होती है तो नेता पार्टी लाइन सहित अन्य कारणों का हवाला देने लगते है. भाजपा के दुलरुआ नेता बने बाबूलाल मरांडी भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ जमुआ, धनवार और बगोदर विधानसभा को लेकर चर्चा करते है लेकिन हेमंत सरकार द्वारा जनता के हित में चलाई जा रही आपकी योजना-आपकी सरकार-आपके द्वार अभियान में भाग नहीं लेते है. ऐसे में सवाल यह उठता है की क्या भाजपा और आजसू के नेता सिर्फ सत्ता की मलाई खाने के लिए होते है या फिर झारखंड में जनता की सेवा करने का पूरा जिम्मेदारी महागठबंध के विधायकों, सांसदों और कार्यकर्ताओं ने अपने कंधो पर उठा रखा है.
राज्य में भाजपा और आजसू पार्टी की वर्तमान हालात यह हो चुकी है की हेमंत सरकार द्वारा चलाए जा रही योजनओं का विरोध तक नहीं कर पा रहे है. ऐसा कहा जाता है कि सरकार जब अपनी जनता के हितों को ध्यान में रखकर योजनाएं लाती है तो अच्छे-अच्छे विरोधी भी उनका विरोध नहीं कर पाती है. झारखंड में भी हेमंत सोरेन की सरकार कई ऐसी जनकल्याणकारी योजनओं को धरातल पर उतार रही है जिसकी कल्पना भी झारखंड की जनता ने कभी नहीं किया होगा. सर्वजन पेंशन योजना, हरा राशनकार्ड के माध्यम से अंतिम पंक्ति के लोगो तक लाभ पंहुचा कर उनके जीवन को सुरक्षित रखने का प्रयास किया जा रहा है.