Jharkhand: सीएम हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) और मंत्री सत्यानंद भोक्ता (Satyanand Bhokta) की पहल पर ताजिकिस्तान में फंसे झारखंड (Jharkhand) के 44 मजदूरों की वतन वापसी हो गई। 36 लोग मंगलवार देर शाम घर पहुंचे, बाकी देर रात तक रास्ते में थे। घर पहुंचते ही सभी की आंखों से आंसू छलक उठे। घर लौटने पर सभी ने मुख्यमंत्री का आभार जताया।
सभी लोग हजारीबाग, गिरिडीह और बोकारो के हैं। सभी एक एजेंट के माध्यम से ताजिकिस्तान के कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन में काम करने गए थे। यहां उन्हें तीन माह से वेतन नहीं मिल रहा था। उसके बाद सभी ने 19 दिसंबर को सोशल मीडिया के माध्यम से राज्य सरकार से गुहार लगाई थी।
इसके बाद सीएम के निर्देश पर मंत्री सत्यानंद भोक्ता और राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष के प्रयास से वापसी हुई। कंट्रोल रूम ने दूतावास के माध्यम से कंपनी द्वारा बकाया राशि 16 लाख का भुगतान कराया और टिकट की व्यवस्था कराई। इसके बाद सभी सोमवार को दिल्ली पहुंचे। यहां से 36 लोग बस से हजारीबाग आए। ताजिकिस्तान में फंसे विष्णुगढ़ के 30 समेत झारखंड के हजारीबाग, बोकारो तथा गिरिडीह जिले के 44 मजदूरों का मंगलवार को महीनों बाद अपने परिजनों से दीदार हो पाया। अपने गांव पहुंचते ही मजदूरों ने माटी चूमी और राहत की सांस ली।
Jharkhand: मजदूरी नहीं मिलने से 10 दिनों तक भूखे रहते थे, मजदूरों ने बताई परेशानी
इससे पहले मंगलवार को हजारीबाग पहुंचने पर उनका स्वागत किया गया। श्रम अधीक्षक अनिल कुमार रंजन और उनके विभाग के कर्मियों ने झारखंड के मजदूरों का स्वागत किया। इस दौराना मजदूरों की आखें नम हो गई। वहीं मजदूरों ने मीडिया और अखबार के प्रति आभार प्रकट किय्रा। उन्होंने कहा कि कंपनी के ठेकेदार उन्हें 31 हजार मजदूरी देने के नाम पर ताजिकिस्तान ले जाया गया। वहां उन्हें 10 दिनों से भूखे भी रहना पड़ा। उमेश मेहता बताते हैं कि विदेश में काफी तकलीफ झेलनी पड़ी। मजदूरी नहीं मिलने पर खाने पीने की दिक्कत हो गयी।
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झारखंड सरकार के प्रति जताया आभार मजदूरों ने बताया कि कंपनी उन्हें साप्ताहिक जहाज से भारत भेजने को तैयार हो गयी। साथ में कंपनी ने सभी मजदूरों को एक एक हजार रुपए और अतिरिक्त भुगतान किए। मजदूर उमेश मेहता ने भारत सरकार के साथ झारखंड सरकार का आभार जताया।