देश में हुए लोग डाउन के कारण भारत की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट देखने को मिली है इस गिरावट को रोकने के लिए और फिर से देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से कोयला खदानों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी की गई है केंद्र सरकार कोयला खदानों को निजी हाथों में सौंप कर अधिक से अधिक मुनाफा कमाने की कोशिश में लगी है इसी वजह से कई कुल कंपनियां है जो कॉल ब्लॉक्स की नीलामी में दिलचस्पी ले रहे हैं झारखंड में भी कई कॉल ब्लॉक से जिन की नीलामी होनी है और इस कॉल ब्लॉक नीलामी में कई प्राइवेट कंपनियां हिस्सा लेकर इन कोल ब्लॉकों को अपना बनाना चाहती है।
कॉल ब्लॉक की नीलामी को लेकर कई मजदूर संगठन सड़कों पर उतरे थे साथ ही राज्य सरकार इस मामले को लेकर सुप्रीमकोर्ट भी गई है। राज्य सरकार का कहना था कि राज्य की कोल ब्लॉक की नीलामी केंद्र सरकार मनमाने ढंग से कर रही है जबकि इस पर राज्य सरकार का भी हक बनता है परंतु एक बार भी राज्य सरकार से इस बारे में विचार विमर्श नहीं किया गया या दर्शाता है कि केंद्र सरकार राज्यों को अपने सामने कुछ नहीं मानती है उनकी मर्जी में जो भी आता है वह करते जाते हैं अब ऐसा नहीं चलेगा।
झारखंड की पांच कोयला खदानों के लिए 19 कंपनियों ने बोली लगाई है अडानी, हिंडालको, वेदांता समेत 19 कंपनियों ने यह बोली लगाई है ब्रह्माडीहा, चकला, गोंधलपाड़ा, राजघरानों जैसे कॉल ब्लाक के लिए बोली लगी है।