JHARKHAND : झारखंड युवा अवस्था के प्रचंड पयदान पर खड़ा है अर्थात 22 वर्षों का यह झारखंड है जो आपने गर्भ में अपार संपत्ति छुपाए बैठा है यहां के मूलनिवासी हमेशा जल, जंगल, जमीन की लड़ाई के लिए अपना प्राण त्याग है। यहां के लोगों का इतिहास हमेशा अन्याय के विरुद्ध आंदोलन रहा है।
झारखंड के मूल निवासी का विकास और झारखंड वासियों के खुशहाली के लिए दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने झारखंड के अस्तित्व की लड़ाई में अग्रणी नेता के रूप में भूमिका निभाए हैं। शिबू सोरेन हमेशा झारखंड की जनता के हित के लिए लड़ाई लड़ते रहे हैं। वर्तमान में झारखंड सरकार की बागडोर शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन(Hemant Soren) के हाथों में है।
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में निर्वाचित होकर झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन की सरकार बनी और तब से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन(Hemant Soren) ने अपने घोषणा पत्र में लिखा हुआ हर जन कल्याणकारी योजनाओं को तटस्थता के साथ एक-एक करके प्रत्येक योजनाओं को धरातल पर उतारने का काम कर रहे हैं विगत कुछ दिन पहले 60 हजार पुलिसकर्मियों को क्षतिपूर्ति अवकाश के लिए लंबी मांग को हेमंत सोरेन की नेतृत्व वाली सरकार ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दिया है। लंबे समय से इससे संबंधित फाइल मुख्यमंत्री सचिवालय में लटकी हुई थी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) ने राज्य के पुलिसकर्मियों को साल में 20 दिनों का क्षतिपूर्ति अवकाश की फाइल पर सहमति प्रदान कर मंजूरी दे दिया है।
ओल्ड पेंशन योजना को लागू किया
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने राज्य के सरकारी कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू कर दिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा था कि पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए सरकारी कर्मचारियों ने लंबे समय तक संघर्ष किया है। उन्होंने भी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का वादा चुनाव से पूर्व किया था और अपने वादे वादे के मुताबिक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ( Hemant Soren) ने फैसला लिया है।
झारखंड में पुरानी पेंशन योजना लागू होने के बाद 1 लाख से भी अधिक सरकारी कर्मियों को इससे सीधा फायदा हो गया है। इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों के परिवारों और उनके आश्रितों का भविष्य इससे लंबे समय के लिए सुरक्षित हो जाएगा। बता दें कि झारखंड में डेढ़ दशक तक भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही और सरकारी कर्मचारियों के द्वारा लगातार संघर्ष करते हुए पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग की जाती रही है परंतु उनकी मांगों पर कोई भी विचार विमर्श नहीं किया गया था। मुख्यमंत्री बनने से पूर्व हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने अपने घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के लिए वादा किया था जिसे उन्होंने निभाने काम किया है।
पारा शिक्षकों की मांग को पूरा किया
बताते चलें कि झारखंड निर्माण के समय के कुछ वर्षों के बाद ही पारा शिक्षकों की बहाली हुई थी और उसके बाद उन्होंने लगातार अपने भविष्य को लेकर स्थायीकरण और अनुदान राशि को बढ़ाने के लिए संघर्षरत रहे थे। और कई बार 64 हजार के लगभग पारा शिक्षकों ने व्यापक आंदोलन करते रहते थे। चुनाव के दरमियान उनकी मांगों के अनुरूप करने का वादा भी किया जाता था परंतु हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की सरकार ही अपने वादे पर खरे उतरते हुए उनके यह मांग को पूरा करने का कार्य है या यूं कहें कि लगभग 64 हजार परिवारों को बसाने का काम किया।
सर्वजन पेंशन योजना
वृद्ध पेंशन, विधवा पेंशन, एड्स से पीड़ित पीड़िता को पेंशन एवं परिवार जनकल्याण सुरक्षा पेंशन से अहर्ता रखने वाली प्रत्येक लोगों को लाभान्वित करने का कार्य हेमंत सरकार ने किया।
एक के बाद एक जन कल्याणकारी योजनाओं से झारखंड वासियों को हेमंत सरकार खुशहाल कर रहे हैं। जिस कारण विपक्ष में बैठे बीजेपी नेताओं की झारखंड में राजनीतिक परिस्थितियां बदलता जा रहा है।