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झारखंड सरकार का निजी शिक्षण संस्थाओं को निर्देश, न करें अतिरिक्त वसूली

News Desk

लाकडाउन की वज़ह से आर्थिक तंगी की मार झेल रहे अभिभावकों के लिए ठोड़ी राहत वाली खबर आई है। झारखंड सरकार ने आदेश जारी कर निजी विद्यालयों को निर्देश दिया है कि छात्रों को मासिक शुल्क के लिए परेशान नहीं किया जायेगा साथ ही उन्हें पढ़ाई से भी वंचित नहीं रखा जायेगा।

राज्य के सभी निजी, गैर अनुदानित एवं मान्यता प्राप्त विद्यालयों के प्रबंधन को शिक्षा अधिकार अधिनियम-2009 के तहत निर्देशित किया गया है कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण अधिनियम (संशोधन) 2017 का अनुपालन किया जाए। वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2020-21 में शुल्क में किसी प्रकार की बढ़ोत्तरी, यातायात व अन्य शुल्क छात्रों से नहीं लिया जाएगा। विद्यालयों का पूर्ववत संचालन होने के पूर्व मात्र मासिक शुल्क लिया जाएगा। किसी भी परिस्थिति में शिक्षण शुल्क जमा नहीं करने वाले छात्रों का न तो नामांकन रद्द किया जाए और न ही ऑनलाइन शिक्षा से वंचित किया जाए।

विद्यालय में नामांकित सभी छात्रों को बिना भेदभाव किए ऑनलाइन शिक्षा के लिए पासवर्ड व आईडी उपलब्ध कराया जाए। साथ ही ऑनलाइन शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध कराने की सारी जिम्मेवारी विद्यालय प्रमुख की होगी। 

बता दें कि विद्यालय बंद रहने की अवधि तक वार्षिक शुल्क, यातायात शुल्क व अन्य शुल्क नहीं लिया जाएगा। कक्षा प्रारंभ होने के बाद समानुपातिक प्रणाली से अभिभावकों से संबंधित विद्यालय शुल्क वसूल किए जाएंगे। यह भी बता दें कि किसी भी परिस्थिति में अभिभावकों से विलंब शुल्क नहीं लिया जाएगा। विद्यालय में कार्यरत शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों के मासिक वेतन आदि में किसी प्रकार की कटौती किये बगैर प्रबंधन को भुगतान करना होगा। विद्यालय प्रबंधन द्वारा नया शुल्क मद सृजित कर अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक दबाव नहीं बनाया जाएगा। उपर्युक्त निर्देशों का अनुपालन नहीं करने की स्थिति में राज्य सरकार संबंधित विद्यालय की एनओसी रद्द करने या पुनर्विचार करते तत्पश्चात अधिनियम के तहत आवश्यक कार्रवाई भी करेगी।