झारखंड लोकसेवा आयोग (Jharkhand JPSC) की परीक्षा 2021 में उम्र की छूट मांगने वाले अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. बुधवार को सुनवाई के बाद जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एसएस बोपन्ना की खंडपीठ ने अभ्यर्थियों की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है.
झारखंड बनने के बाद से ही जेपीएससी की परीक्षा को लेकर हमेशा से विवाद होता रहा है. राज्य अलग होने के 20 वर्षों के बाद भी मात्र 6 जेपीएससी की परीक्षाएं हो पाई है जिसका मुख्य कारण इस संस्था का संचालन नियमावली है जिसमें कोई ना कोई बाधा उत्पन्न होकर परीक्षाएं संपन्न नहीं हो पाती थी या फिर किसी कारणवश वह अदालत की दहलीज पर जा पहुंची थी. झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार बनने के बाद जेपीएससी के संचालन नियमावली में कई संशोधन किए गए और इस संशोधन के तहत जेपीएससी की परीक्षा का पैटर्न भी बदला गया. पूर्व में जेपीएससी की परीक्षा बिहार सरकार के तहत जारी नियम के अनुसार चलते थे लेकिन अब जेपीएससी की परीक्षा झारखंड के अपने नियमावली के तहत संचालित किए जा रहे हैं. नए नियमावली में सातवीं जेपीएससी परीक्षा के लिए आयोग ने कई मापदंड अपनाए थे जिसका कई अभ्यर्थी विरोध कर रहे थे उनका विरोध था की उम्र सीमा में आयोग के द्वारा सही निर्णय नहीं लिया गया है जिसे लेकर पहले अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और फिर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर कर उम्र सीमा में छूट की मांग की.
सुनवाई के दौरान जेपीएससी की तरफ से अदालत को बताया गया कि वर्ष 2016 के बाद सिविल सेवा परीक्षा नहीं हुई है इसलिए वर्ष 2021 में होने वाली सिविल सेवा परीक्षा के लिए उम्र सीमा का निर्धारण वर्ष 2016 रखी गई है. उनकी तरफ से 5 साल उम्र में छूट पहले ही प्रदान कर दी गई है जब जेपीएससी की तरफ से यह भी बताया गया कि 19 सितंबर को ही प्रारंभिक परीक्षा हो गई है ऐसे में अब उम्र में छूट देना संभव नहीं है. इससे पहले झारखंड हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार की उम्र सीमा निर्धारण को सही मानते हुए अभ्यर्थियों की याचिका ख़ारिज कर दी थी.