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Jharkhand Niyojan Niti: नियोजन नीति को रद्द करने के लिए याचिका दायर करने वाले ज्यादातर लोग दुसरे राज्य के फिर कैसे झारखंडियों को मिलेगा अधिकार

Jharkhand Niyojan Niti: झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के द्वारा साल 2021 में एक नई नियोजन नीति लाई गई थी जिसमें झारखंड से 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास करने वाले अभियार्थी ही नौकरियों के लोए आवेदन कर सकते थे और नौकरी पा सकते थे. लेकिन झारखंड हाईकोर्ट ने इस नियोजन नीति को रद्द कर दिया है जिसके बाद यह सवाल उठने लगा है की भाजपा के इशारे पर ऐसा हो रहा है.

झारखंड हाईकोर्ट ने झारखंड सरकार की नियोजन नीति 21 को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया है. इसके साथ ही इस नीति के तहत नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन को भी रद्द करते हुए नया विज्ञापन निकालने का आदेश दिया है. कोर्ट के इस आदेश से राज्य में 13,968 पदों के लिए होने वाली नियुक्ति परीक्षाएं रद्द कर दी गई है. नए नियमों के तहत दूसरे राज्यों से 10वीं और 12वीं करने वाले सामान्य वर्ग के युवा भी अब थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरी के पात्र होंगे. केवल झारखंड ही नहीं बल्कि बिहार, यूपी और उत्तराखंड में भी ऐसा ही होता है. उल्लेखित राज्यों के तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरी के लिए उक्त राज्य से 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास करना अनिवार्य है.

Jharkhand Niyojan Niti: नियोजन नीति को रद्द करवाने के लिए आवेदन देने वाले अधिकांश लोगों का दुसरे राज्यों से हैं संबंध, क्या भाजपा के इशारे पर हुआ है ऐसा

झारखंड की हेमन्त सोरेन सरकार के द्वारा लाई गई नियोजन नीति को अदालत से रद्द होने के बाद चर्चा का बाजार गर्म है की यह सब कुछ भाजपा के इशारों पर हो रहा है. नियोजन नीति को रद्द करने के लिए जितनी भी याचिका दायर की गई उसमें से अधिकांश लोग झारखंड के नहीं हैं. याचिका दायर करने वालों की एक लिस्ट हमारे हाथ लगी हैं जिसमें 11 लोगों का नाम शामिल हैं और इनमें से 7 लोग ऐसे है जो झारखंड के निवासी नहीं हैं.

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ऐसे में सवाल यह उठता है की यह कौन लोग है और किसके इशारों पर याचिका दायर कर झारखंड के युवाओ के भविष्य को अंधकार में डालने का प्रयास कर रहे है. यदि यह नियोजन नीति अभी अस्तित्व में रहती तो तकरीब 1.50 लाख लोगो को सरकारी नौकरी मिलती साथ ही कई अन्य विभागों में रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया भी जारी थी लेकिन नियोजन नीति को रद्द होने से उनका भविष्य अधर में लटक गया है.

झारखंड हित की नियोजन नीति को रद्द करने की याचिका दायर हुई है उसमें क्रमश: यह नाम शामिल हैं-

  • शशांक शेखर, पिता- सुरेश सिंह, शेखपुर, बिहार
  • स्वतंत्र प्रकाश गौतम, पिता- राम रतन प्रसाद, कुशीनगर, यूपी
  • राम अधर सिंह, पिता- राम चन्द्र सिंह, देवरिया, यूपी
  • हरे राम शर्मा, पिता- शंभू नारायण शर्मा, देवरिया, यूपी
  • धर्मेन्द्र कु. सिंह, पिता- लाल बाबू सिंह, देवरिया, यूपी
  • संतोष सिंह, पिता- राम नन्द सिंह, माऊ, यूपी
  • रजनीश आनंद, पिता- राम भरोसा सिंह, बेगुसराय, बिहार

यह सभी याचिका दायर करने वाले झारखंडी नहीं है और इनका झारखंड से कोई सम्बन्ध भी नहीं है फिर इनकी याचिकाओं को आधार बना कर कैसे कोई झारखंडियों का अधिकार छिन्न सकता है. आखिर यह किनके शाह पर इतना साहस कर रहे है. हेमंत की नियोजन नीति आने से सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी वर्ग को होता तो वह बाहरी लोग ही थे जिनका एक बड़ा गिरोह झारखंड में सक्रीय है. लम्बे समय से झारखंड की नौकरियों में बाहरियों का कब्ज़ा रहा है हेमंत सोरेन सरकार के द्वारा लाई गई नियोजन नीति से इन्ही को सबसे ज्यादा नुकसान होने वाला था ऐसे में विपक्षी दलों का साथ लेकर इस नियोजन नीति को रद्द करवाया गया हैं, ऐसा झारखंड की राजनीति और कई मीडिया संस्थानों में भी चर्चा का विषय बना हुआ हैं. लेकिन जब से याचिका दायर करने वालों का नाम सामने आया है यह आईने की तरह साफ़ हो गया है की पूरा खेल राजनीति और मुद्दा तलाश कर रही भाजपा से जुड़ा है.