झारखण्ड के शिक्षा मंत्री सह झामुमो के कद्दावर नेता जगरनाथ महतो (Jagarnath Mahato) का आज यानि 6 अप्रैल को बीमारी से लम्बी लड़ाई से लड़ते हुए निधन हो गया. जगरनाथ दा का इलाज चेन्नई के अस्पताल में चल रहा था जहाँ उन्होंने अंतिम साँस ली.
टाइगर जगरनाथ महतो के निधन कि खबर सुनकर पुरे झारखण्ड में शोक की लहर है. पार्टी कार्यकर्ताओं से लेकर राजनेता और उन्हें जानने वाले गमगीन है. वह झामुमो के कद्द्वर नेताओं और दिशोम गुरु शिबू सोरेन के सबसे करीबी में से एक थे. उनका इस दुनिया से जाना झामुमो और सीएम हेमंत सोरेन के लिए बहुत बड़ी क्षति है.
हर बच्चा पढ़ाई करे इसलिए सुबह घूम-घूम कर सबको उठाते थे टाइगर Jagarnath Mahato, मैट्रिक की परीक्षा होती थी ख़ास
जगरनाथ महतो खुद मैट्रिक पास थे. राजनीति में आने की वजह से वह आगे की पढ़ाई नहीं कर पाये, लेकिन वह चाहते थे कि समाज का हर बच्चा शिक्षित हो. यही वजह है कि वह घूम-घूमकर बच्चों को सुबह जगाते थे कि पढ़ाई करो. खासकर मैट्रिक की परीक्षा के दौरान जगरनाथ महतो अपने विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में घूम-घूमकर बच्चों को जगाया करते थे. झारखंड में जब तक मैट्रिक की परीक्षा होती थी, वह सुबह चार बजे से पहले उठकर तैयार हो जाते थे. उन्हें यह मालूम होता था कि जिस इलाके में वह जा रहे हैं, वहां किस-किस घर में बच्चा इस वर्ष मैट्रिक की परीक्षा दे रहा है. वह उसके घर पर दस्तक देते थे.
बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करते थे. उनसे कहते थे कि सुबह उठकर पढ़ने के कई फायदे होते हैं. जो आप पढ़ते हैं, वह याद रहता है. इसलिए ब्रह्म मुहूर्त में यानी सुबह 4 बजे उठकर पढ़ाई करें. आपकी पढ़ाई अच्छी होगी, तो आपका रिजल्ट भी अच्छा होगा. इससे आपके परिवार को तो खुशी होगी ही, समाज और राज्य को भी इसका लाभ मिलेगा.
जगरनाथ महतो सिर्फ बच्चों को मैट्रिक की परीक्षा के दौरान जगाते ही नहीं थे. जब भी उन्हें समय मिलता था, वे बच्चों को पढ़ाने का मौका नहीं छोड़ते थे. वर्ष 2020 में बच्चों को पढ़ाने के दौरान ही उन्हें कोरोना का संक्रमण हुआ और उसके बाद से उनकी सेहत लगातार बिगड़ती चली गयी. लेकिन, झारखंड टाइगर के नाम से जाने जाने वाले जगरनाथ महतो की हिम्मत ने उन्हें टूटने नहीं दिया.