केंद्र सरकार के द्वारा संसद से पास हुए कृषि बिल के विरोध में कई किसान संगठन सहित तमाम विपक्षी दल इस बिल का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं किसान बहुल क्षेत्र पंजाब हरियाणा में कई किसान संगठन सड़कों पर उतर करके इस बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं तो वही विपक्षी दलों के द्वारा विभिन्न राज्यों में विरोध प्रदर्शन कर केंद्र सरकार पर हमला बोला जा रहा है साथ ही मांग की जा रही है कि किसानों के विरुद्ध पारित किए गए इस कानून को वापस लिया जाए इसी कड़ी में मंगलवार 29 सितंबर को झारखंड की सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा भी जिला मुख्यालय पर बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी झामुमो ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि यह किसानों के लिए काला कानून है।
झामुमो ने अपनी सभी जिला समितियों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि वह अपनी जिला मुख्यालय पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन करें और किसानों मजदूरों बेरोजगारों की आवाज को बुलंद करें इस बिल से प्रभावित होने वाली जनता के साथ झामुमो हर स्तर पर खड़ी है और हर स्तर पर इस बिल का विरोध करती है। इस बिल को लाने के बाद भाजपा का असली चेहरा सामने आया है। वो साफ झूठ बोलते थे कि वह किसान हितैषी है लेकिन असलियत यह है कि वह किसान विरोधी है आज देश भर के 62 किसान और मजदूर सड़को पर है। 250 से अधिक किसान संगठन विरोध कर रही है लेकिन केन्द्र सरकार मौन धारण करके बैठी हुई है।
नई कृषि कानून के तहत केंद्र की सरकार अपने पूंजीपति साथियों को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों का हक मार रही है जनता अब जागरूक हो चुकी है आने वाले समय में वही किसान और वही संगठन केंद्र की भाजपा सरकार की नाकामियों को उजागर करेंगे। इस बिल के जरिए किसानों को भारी नुकसान सहना पड़ेगा इसी बात को समझाने के लिए कई किसान संगठन भी सड़कों पर उतरे हैं लेकिन मौजूदा केंद्र की अहंकारी सरकार को यह सब कुछ नहीं दिखता है उन्हें बस एक ही काम करना है कि अपने पूंजीपति साथियों को कैसे इससे फायदा पहुंचे