

Koderma: झुमरी तिलैया रविवार की रात कोडरमा घाटी एक अनोखी और भावुक कर देने वाली घटना की साक्षी बनी, जब एक चलती बस में गर्भवती महिला को अचानक प्रसव पीड़ा हुई और समय पर मदद मिलती रही तो एक नई ज़िंदगी ने इस दुनिया में किलकारी भरी। बस कर्मचारी, पुलिसकर्मी, डॉक्टर और यात्रियों की संयुक्त मानवीय संवेदनाओं ने इस कठिन क्षण को एक मधुर स्मृति में बदल दिया।
श्री साईं बस से रांची जा रही थी राधा, कोडरमा में हुआ प्रसव
20 वर्षीय राधा देवी, बिहार के मधुपुर की निवासी हैं। वह वैशाली (पटना) से श्री साईं नामक यात्री बस में अपनी मां मीना देवी, बहन और नौ माह के गर्भ के साथ रांची के कांटाटोली स्थित अपने घर लौट रही थीं। मां का इलाज और स्वयं के प्रसव के लिए रांची की यात्रा कर रही थीं। राधा बस के स्लीपर कोच में आराम कर रही थीं, जब कोडरमा घाटी पार करते समय रात 1:30 बजे के करीब उन्हें तेज प्रसव पीड़ा होने लगी।
बस कंडक्टर और पीसीआर की तत्परता ने संभाली स्थिति
स्थिति को गंभीर होता देख बस चालक और कंडक्टर ने झुमरी तिलैया के महाराणा प्रताप चौक पर पीसीआर वाहन को इशारा किया। पीसीआर में तैनात ओमप्रकाश व उनके सहयोगी ने तत्काल सहायता का आश्वासन दिया और बस को पीछे पीछे कई अस्पतालों तक पहुंचाया गया। हालांकि आधी रात के समय अस्पतालों के गेट बंद मिले।
डॉ. प्रवीण कुमार ने पेश की सेवा का श्रेष्ठ उदाहरण
जब आखिरकार रात 2:26 बजे आर्यन अस्पताल में बस रुकी, तो अस्पताल प्रशासन से तुरंत संपर्क किया गया। अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. प्रवीण कुमार, जो शहर के प्रतिष्ठित और अनुभवी डॉक्टरों में गिने जाते हैं, ने बिना देर किए अस्पताल पहुंचकर संपूर्ण जिम्मेदारी अपने हाथों में ली।
डॉ. प्रवीण न केवल त्वरित गति से अस्पताल पहुंचे, बल्कि उन्होंने पूरी संवेदनशीलता और दक्षता के साथ जच्चा-बच्चा की चिकित्सा व्यवस्था संभाली। अस्पताल की नर्सों ने उनकी निगरानी में नाल और प्लासेंटा काटा। कुछ ही देर में राधा ने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया, जिसका वज़न 3 किलोग्राम निकला।
समय पर चिकित्सा नहीं मिलती तो हो सकती थी अनहोनी- डॉ. प्रवीण
डॉ. प्रवीण कुमार ने बाद में मीडिया से बातचीत में बताया कि यदि थोड़ी भी देर होती, तो स्थिति बेहद गंभीर हो सकती थी। लेकिन हम सबकी सामूहिक कोशिशों से एक मां और नवजात को सुरक्षित रखा जा सका।उनकी सेवा भावना, मानवीय संवेदना और रात के सन्नाटे में अस्पताल पहुंचकर स्वयं स्थिति को संभालना उन्हें मसीहा का दर्जा देता है।
बस यात्री भी बने मानवता की मिसाल
बस में मौजूद सभी यात्रियों ने भी इस पूरे घटनाक्रम में अनुकरणीय धैर्य और सहयोग दिखाया। बारिश के बीच वे महिला के सुरक्षित प्रसव तक बस के बाहर खड़े रहे। जब बच्ची का जन्म हुआ तो तालियों और मुस्कानों से पूरा माहौल उमंग से भर गया।
पुलिस और डॉक्टर न होते तो पता नहीं क्या होता” – मां मीना देवी
राधा की मां मीना देवी ने बताया, मुझे पथरी का इलाज करवाना था, इसलिए बेटी को साथ ले जा रही थी। हमें क्या पता था कि रास्ते में ही यह हो जाएगा। लेकिन तिलैया की पीसीआर टीम और डॉ. प्रवीण कुमार ने जो किया, वह हमारी ज़िंदगी भर की कर्ज़ है। ईश्वर ने जैसे हमारे लिए फरिश्ते भेज दिए थे।
पति मुंबई में करते हैं मज़दूरी, पहले से है एक बेटी
मीना देवी ने बताया कि राधा का पति मुंबई में मज़दूरी करता है और पहले से उसकी एक चार वर्षीय बेटी है। अब दूसरी बच्ची के जन्म से पूरा परिवार बहुत खुश है।




