Koderma: 21 मई बुधवार को आंगनबाड़ी केंद्र करमा मध्य कोड संख्या 226 में केंद्र के पोषक क्षेत्र के ग्रामीणों के द्वारा सेविका, सहायिका पर बासी खिचड़ी एवं सड़ा अंडा खिलाने का आरोप लगाया गया था। इस संबंध में बाल विकास परियोजना पदाधिकारी डॉक्टर रेखा रानी से संपर्क किया गया। इस विषय पर डॉ रेखा रानी ने कहा कि मेरे संज्ञान में आते ही मामले की जानकारी विभागीय उच्चाधिकारी को दिया गया, साथ ही संबंधित महिला पर्यवेक्षिका अंजू कुमारी को वस्तु स्थिति जांच करने हेतु आंगनबाड़ी केंद्र तुरंत भेजा गया था। यह मामला प्रखंड विकास पदाधिकारी के संज्ञान में भी था इसलिए वो भी आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचे थे। जांच के दौरान पाया गया कि उक्त तिथि को आंगनबाड़ी केंद्र में कुल 11 बच्चे उपस्थित थे और सभी को पोषाहार में खिचड़ी और अंडा दिया गया था, जिसमें देखा गया कि तीन से चार बच्चे के परिजन बच्चों को उल्टी और दस्त होने का शिकायत कर रहे थे। हालांकि किसी भी बच्चे को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ी। इस संबंध में सेविका, सहायिका से पूछे जाने पर इनकार कर रही हैं और इसे साजिश बता रही है। जबकि केंद्र में बासी खिचड़ी और एक सप्ताह पूर्व में खरीदा गया अंडा मिला है।
जिला समाज कल्याण पदाधिकारी कोडरमा के निर्गत जांच आदेश पत्र के आधार पर पुनः 22 मई को बाल विकास परियोजना पदाधिकारी डॉ रेखा रानी द्वारा उक्त आंगनबाड़ी केंद्र का महिला पर्यवेक्षिका अंजू कुमारी के साथ निरीक्षण किया गया जिसमें देखा गया कि उक्त सभी मामले सही है। सेविका, सहायिका दोनों में आपसी मतभेद है,जिसके वजह से या घटना घटी थी, जो माफी योग्य नहीं है। ये दोनों अपने कार्य के प्रति बिल्कुल ही लापरवाह है जिसके कारण बच्चों एवं वहां के अन्य लाभार्थियों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है और पूर्व से भी सेविका, सहायिका का लगातार शिकायत प्राप्त होते आ रहा है, कई बार इन्हें कार्यालय से चेतावनी भी दी गई है। इसके बाद भी उनके कार्य शैली में सुधार नहीं आया। इस घटना की जानकारी 22 मई को उपायुक्त महोदय के अध्यक्षता में आयोजित बैठक में भी दिया गया है, मैडम द्वारा आदेश दिया गया है कि केंद्र में ऐसे लापरवाह सेविका, सहायिका के ऊपर कार्रवाई करें और इन्हें तुरंत चयन मुक्त करें। बच्चों के साथ इस तरह की गलती बिल्कुल भी क्षमा योग्य नहीं है। उच्च अधिकारी के प्राप्त आदेशानुसार मेरे द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र करमा मध्य ,कोड संख्या 226 की सेविका एवं सहायिका से स्पष्टीकरण की मांग की गई थी, जिसका जवाब असंतोषजनक है। ऐसी स्थिति में सेविका , सहायिका दोनों को चयन मुक्त हेतु जांच प्रतिवेदन सहित अनुशंसा कर उच्चाधिकारी को भेजा गया।