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Koderma News: शबे कदर की इबादत हजार महीनों की इबादत से अफजल और बेहतर- मुफ्ती नसीम काजी शहर कोडरमा

Koderma: रमजान का पाक महीना हमसे रुखसत हो रहा है आखरी अशरा चल रहा है आखिरी 10 दिनों में एक रात शबे क़द्र की रात होती है जो बहुत ही खैरो बरकत वाली रात है उस रात में इबादत करना कुरान में हजार महीनों से अफजल बताया गया है उसी रात में अल्लाह ताला ने कुराने करीम को आसमान से दुनिया में उतारा शबे कदर की रात में फरिश्ते अपने परवरदिगार के हुक्म से हर भला काम को लेकर जमीन पर उतरते हैं और यह खैरो बरकत का नुजूल फजर तक रहता है.


शबे कद्र की रात तलाश करने के लिए हम सबके प्यारे आका जनाबे मुहम्मद रसूलुर्ल्लाह सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम
एतकाफ में बैठा करते थे और उम्मत को यह हुकुम मिला के हर बस्ती की मस्जिद में एक आदमी का ऐतकाफ में बैठना सुन्नते मुअक्कदा है. अगर कोई एक शख्स भी मस्जिद में ऐतकाफ नहीं किया तो मुहल्ले और गांव का हर शख्स गुनाहगार होगा इन खयालात का इजहार शहरे काजी मुफ्ती नसीम का़समी साहब दारुल कजा इमारत शरिया कोडरमा जुमा के बयान में फर्मा रहे थे. उन्होंने फरमाया के रमजान के पाक महीने में अल्लाह ताला एक फर्ज का सवाब 70 गुना अधिक देता है और नफल का सवाब फ्रज के बराबर इसलिए आखरी अशरा का एक लम्हा भी दाएं नहीं करना चाहिए. दिन में रोजा और रात में अक्सर हिस्सा इबादतों में गुजारे तरावीह और तहज्जुद का एहतमाम करें अपने और उम्मते मुस्लिमा के लिए और अपने मुल्क में अमन सलामती की दुआएं मांगे ज़कात के बारे में मुफ्ती साहब ने फर्माया की जकात भी मजहबे इस्लाम में नमाज रोजा हज की तरह फर्ज है. साहिबे निसाब मुसलमान अपने माल का हिसाब लगाकर ढाई फीसद जकात अदा करना फर्ज समझे जकात का माल गरीबों बेवाओं और जरूरतमंदों का हक़ है.


इस साल सदक ए फित्र इमारत शरिया ने ₹60 का ऐलान किया है इसलिए हर मालदार शख्स अपनी तरफ से और अपने नाबालिग औलाद की तरफ से ईद की नमाज से पहले पहले फित्र जरूर अदा करें.