अपने अभ्रक के लिए विश्व प्रसिद्ध कोडरमा में समस्याओ की भरमार है. 2000 में जब झारखण्ड बिहार से अलग हुआ तो लोगो को लगा की अब हमारी समस्याओ का समाधान बड़े ही आसानी से हो जाये लेकिन झारखण्ड अलग के 19 वर्ष बाद भी कोडरमा अपने मूलभूत समस्याओ से जूझ रहा है.
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झारखण्ड के प्रथम मुख्यमंत्री यहाँ से सांसद रहे. डॉ रविंद्र राय मोदी सरकार में भाजपा से कोडरमा के सांसद थे और वर्तमान में राजद से विधायक रही अन्नपूर्णा देवी कोडरमा की सांसद है इतना ही नहीं कोडरमा विधानसभा से वर्तमान विधायक नीरा यादव रघुवर दास सरकार में शिक्षा मंत्री थी और फुलवरिया क्षेत्र कोडरमा विधानसभा में आता है बावजूद इसके फुलवरिया में आज तक बिजली नहीं पहुंच सकी है. कोडरमा बिहार के नवादा जिले से सटा हुआ है
नगर पंचायत क्षेत्र अंतर्गत वार्ड नंबर 1 स्थित फुलवरिया बिरहोर टोला में आज तक सुविधाओं का अभाव है. फुलवरिया के लोग आज भी अँधेरे में जीवन गुजरने के लिए विवश है. इस गाँव की आबादी तक़रीबन 450 है जिसमे 45 बिरहोर परिवार रहते है. बिजली विभाग के द्वारा पोल और तार लगा कर ट्रांसफॉर्मर भी लगा दिया गया है लेकिन आज तक ग्रामीणों को बिजली नहीं मिली है.
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सूचना अधिकार मंच के सचिव आरके बसंत ने कोडरमा उपायुक्त सहित उच्च अधिकारियो को पत्र लिख कर फुलवरिया में बिजली पहुंचने के आग्रह किये है. पत्र में श्री बसंत ने कहा है की जिला मुख्यालय से महज एक किलोमीटर दूर और ध्वजाधारी से कच्चा रास्ता फुलवरिया को जाता है जो वन क्षेत्र है और वन विभाग से अनुमति नहीं मिलने के कारण आज तक बिजली फुलवरिया नहीं पहुंच सकी है.