झारखंड कि राजनीति में दलबदल का खेल कई सालो से चलता आ रहा है. उसी कड़ी में एक बार फिर बाबूलाल मरांडी और उनके साथी रहे प्रदीप यादव व बंधू तिर्की को पर दलबदल करने का आरोप लगा है. झाविमो कि टिकट पर 2019 के विधानसभा चुनाव में जीत कर तीनो विधानसभा पहुंचे लेकिन पार्टी के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने बीजेपी में घर वापसी करने का फैसला किया परन्तु प्रदीप यादव व बधू तिर्की उनके फैसले को मानने से इंकार कर दिया और बाबूलाल के बीजेपी में घर वापसी करने के बाद दोनों ने कांग्रेस का दामन थाम लिया.
बीजेपी में शामिल होने के बाद बाबूलाल मरांडी को पार्टी कि तरफ से विधायक दल का नेता चुना गया और सदन में नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए दावा पेश किया गया लेकिन स्पीकर ने दलबदल कानून के तहत सदन में नेता प्रतिपक्ष कि अनुमति नहीं दी, जबकि निर्वाचन आयोग बाबूलाल मरांडी को बीजेपी विधायक के रूप में मान्यता दे चूका है. जबकि प्रदीप यादव और बधू तिर्की कांग्रेस का विधायक न मानते हुए निर्दलीय विधायक के रूप में मान्यता दिया है.
झारखंड सचिवालय कि तरफ से बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव व बंधू तिर्की से नोटिस जारी कर 17 सितंबर तक दलबदल करने को लेकर जवाब मांगा गया था, तीनो नेताओ ने अपने जवाब देने के लिए वक्त कि मांग कि है. प्रदीप यादव व बंधू तिर्की ने जवाब देने के लिए एक सप्ताह का वक्त मांगा है तो वही बाबूलाल मरांडी ने दो सप्ताह का वक्ता मांगा है. विधानसभा सचिवालय कि तरफ से तीनो विधायको को निर्दलीय विधायक के रूप में फ़िलहाल मान्यता दी है. बाबूलाल मरांडी कि तरफ से भी विधानसभा सचिवालय को एक पत्र भेजकर नेता प्रतिपक्ष मामले में कि गई अब तक कि कारवाई का जवाब मांगा है.
बता दें कि हेमंत सरकार के पहले बजट सत्र में भी सदन के अंदर नेता प्रतिपक्ष कि कुर्सी खाली रह गई थी, वही इस बार भी मानसून सत्र के दौरान झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कि कुर्सी खाली रह जाएगी. बीजेपी बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए लगातार हेमंत सरकार पर हमले कर रही है. वही बीजेपी कि तरफ से नेता प्रतिपक्ष के मामले को लेकर राज्यपाल को भी पत्र सौपा गया है.