Skip to content
Advertisement

झारखंड में मनरेगा की मजदूरी 194 रूपये, जबकि अन्य छोटे राज्यों में 225 से अधिक

Shah Ahmad
Advertisement
झारखंड में मनरेगा की मजदूरी 194 रूपये, जबकि अन्य छोटे राज्यों में 225 से अधिक 1

कोरोना माहमारी ने राज्यों की चिंता बढ़ा दी है. एक तरफ राजस्व की चिंता है तो दूसरी तरफ मजदूरों को रोजगार देने की चुनौती है. झारखण्ड जैसे छोटे राज्यों के सामने तो कोरोना एक मुसीबत बनकर आयी है. झारखण्ड के मजदूर बड़ी संख्या में राज्य से बाहर जा कर मजूदरी करते है. इस छोटे से राज्य की सबसे बड़ी समस्या पलायन ही रहा है. राज्य गठन के 20 वर्ष बाद भी इस समस्या का कोई हल नहीं निकल सका है.

Advertisement
Advertisement

Also Read:नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना के तहत पांच वर्षो में 1200 करोड़ खर्च करने की तैयारी में सरकार

राज्य के बाहर मजदूरी करने वाले मजदूर भी कोरोना महामारी के कारण जारी लॉकडाउन के बीच अपने राज्य वापस लौट रहे है. कभी शहरो की ओर रुख करने वाले मजदूर अब गाँव की ओर लौट रहे है. झारखण्ड की हेमंत सरकार ने राज्य वापस लौट रहे मजदूरों को रोजगार देने के लिए 3 योजनाओं की शुरुआत की है. दैनिक मजदूरों के सामने घर चलाने की सबसे बड़ी चुनौती होगी ऐसे में उन्हें प्रयाप्त मात्रा में रोजगार की आवश्यकता होगी। झारखंड सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से तीन योजनाओं की शुरुआत की है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा तैयार बिरसा हरित ग्राम योजना, नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना और वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना की शुरुआत की है. आईएम योजनाओ की मदद से अधिक संख्या में रोजगार देने की बात कही जा रही है.

Also Read: झारखण्ड लौट रहे मजदूरों के लिए CM हेमंत सोरेन ने 3 योजनाओं की शुरुआत की है, जानिए क्या खास

इन सब के बीच सवाल ये उठता है की क्या जिन योजनाओं को मनरेगा के तहत चलाया जायेगा उससे प्रयाप्त मात्रा में घर चलाने के लिए मजदूर राशि कमा पायेंगे क्यंकि मनरेगा की मजदूरी दर झारखंड में 200 रूपये भी नहीं है. जबकि देश के अन्य छोटे राज्यों में मनरेगा की मजदूरी दर 250 से भी अधिक है. मनरेगा में इतनी कम मजदूरी होने के बावजूद भी दैनिक मजदूर काम करने के लिए तैयार है क्यूंकि राज्य वापस लौटने के बाद उन्हें काम चाहिए ताकि किसी तरह वो अपना घर चला सके.

Also Read: लाह इंस्टीट्यूट के जरिये रोजगार देने की तैयारी में CM हेमंत, बना रहे मास्टरप्लान

जानिए किस राज्यों में कितनी है मनरेगा की मजदूरी दर:

राज्य राशि ( रूपये में )

  • आंध्र प्रदेश -237
  • अरुणाचल प्रदेश -205
  • असम -213
  • बिहार – 194
  • छत्तीसगढ़ – 190
  • गोवा -280
  • गुजरात – 224
  • हरियाणा – 309
  • हिमाचल प्रदेश – गैर-अनुसूचित क्षेत्र- 198 और अनुसूचित क्षेत्र- 248
  • जम्मू-कश्मीर – 204
  • लद्दाख – 204
  • झारखण्ड – 194
  • कर्नाटक – 275
  • केरल – 291
  • मध्यप्रदेश -190
  • महाराष्ट्र – 238
  • मणिपुर – 238
  • मेघालय – 203
  • मिजोरम -225
  • नागालैंड -205
  • ओडिशा -207
  • पंजाब – 263
  • राजस्थान – 220
  • सिक्किम – 205, ( तीन ग्राम पंचायत में 308 )
  • तमिलनाडु – 256
  • तेलंगाना – 237
  • त्रिपुरा – 205
  • उत्तरप्रदेश – 201
  • उत्तराखंड – 201
  • पश्चिम बंगाल – 204
  • अंडमान-निकोबार – अंडमान जिला- 267 व निकोबार जिला- 282
  • दादरा-नागर हवेली – 258
  • दमन और दीव – 227
  • लक्षद्वीप – 266
  • पुड्डुचेरी – 256

Also Read: मंत्री जगरनाथ महतो ने दी मंजूरी, नपेंगे 144 शिक्षक सहित 200 इंजीनियर, जानिए ऐसा क्यों हो रहा है

झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मनरेगा की मौजूदा मजदूरी दर पर मुखर हो कर बोल रहे है. केंद्र सरकार से उन्हें इसे बढ़ाने की मांग की है. मुख्यमंत्री का कहना है की राज्य देश को एक बडा राजस्व देता है फिर भी हमे वो सुविधा नहीं मिल रही जो इतनी खनिज देने वाले राज्यों को मिलनी चाहिए। राज्य के संसाधनों की सहयता से कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहे है. केंद्र सरकार से जो सहयोग मिलना चाहिए था वो अब तक इस महामारी में नहीं मिला है. राज्य वापस लौट रहे प्रवासी मजदूरों को रोजगार देना हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है. इसे ध्यान में रख कर हमने 3 योजनाओ की शुरुआत की है साथ ही रोजगार के अन्य विकल्पो की तलाश की जा रही है ताकि ज्यादा संख्या में रोजगार दिया जा सके.