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रघुवर सरकार के दौरान बकोरिया कांड की सीबीआई जाँच रुकवाने के लिए हुआ था पैसो का खेल

पलामू जिले के सतबरवा में हुए बहुचर्चित बकाेरिया कांड में एफआईआर दर्ज कराने वाले तत्कालीन सब इंस्पेक्टर माेहम्मद रुस्तम काे सीबीआई ने सरकारी गवाह बना लिया है। अब सीबीआई काे उम्मीद है कि बकाेरिया कांड का सच जल्दी ही सामने आ जाएगा।

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सीबीआई के जाँच में ये बात सामने आया है की बकोरिया कांड की सीबीआई जाँच रुकवाने के लिए कारोबारियों से 19 करोड़ रूपये की वसूली की गयी थी जिसका उपयोग बड़े अफसरों और कई वकीलों को मैनेज करने की लिए किया गया था, 8 जून 2015 को कथित मुठभेड़ में 12 नक्सलियों को मार गिराने का दवा किया गया था. बकोरिया कांड को लेकर कई आईएस अधिकारियो पर गाज गिरना तय माना जा रहा है.

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वहीं झारखंड पुलिस के कई बड़े अफसराें की परेशानी भी बढ़ेगी। क्याेंकि सीबीआई की पूछताछ में माे. रुस्तम अपने बयान से पलट गया था। सतबरवा अाेपी के तत्कालीन थानेदार हरीश पाठक के बयान का समर्थन करते हुए उन्हाेंने सीबीआई काे बताया था कि सीनियर अफसराें ने लिखी हुई एफआईआर दी थी, जिस पर उन्हाेंने सिर्फ हस्ताक्षर किया था। उन्हाेंने कहा कि घटना के बाद पुलिस अफसराें ने हरीश पाठक पर एफआईआर दर्ज करने का दबाव बनाया था। पाठक ने जब फर्जी मुठभेड़ की एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया ताे उनसे एफआईआर दर्ज कराई गई थी।

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हाईकाेर्ट ने 22 अक्टूबर 2018 काे दिया था सीबीआई जांच का आदेश

पुलिस ने पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकाेरिया में 8 जून 2015 काे मुठभेड़ में 12 लाेगाें काे मार गिराने का दावा किया था। मृतकाें के परिजनाें ने इसे फर्जी मुठभेड़ बताते हुए सीआईडी जांच पर सवाल उठाया। इसके बाद 22 अक्टूबर 2018 काे हाईकाेर्ट ने मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया।

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प्राप्त जानकारी के अनुसार राजधानी ट्रैन से तीन बैग में पैसो को भरकर पैसे को दिल्ली पहुंचाया गया था, ताकि इस मामले को मैनेज किया जा सके और सीबीआई जाँच होने से रुकवाया जा सके.

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