मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार ईद कोरोना महामारी की वजह से फीका पड़ गया है. देश में आई विपदा और केंद्र सरकार के निर्देश के बाद कोडरमा के मुस्लिम समुदाय ने फैसला किया है की अपने घरो में ही ईद की नमाज़ पढ़ी जाएगी।
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देश में जारी लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों का राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगातार आना लगा है. ऐसे में कोडरमा के मुस्लिम युवा प्रवासी मजदूरों की सेवा में दिन-रात एक करके जुटे हुए है. मुस्लिम युवाओ का कहना है की इस महामारी के समय ईद की तैयारी के बजाए हमलोग प्रवासियों की मदद करने में जुटे है. प्रत्येक दिन प्रवासियों के लिए खाद्य सामग्री का पैकेट तैयार किया जाता है और उन्हें दिया जाता है. इतने बड़े स्तर पर लोगो की मदद करने का मौका मिला है ईद में इससे बड़ा उपहार और कुछ नहीं हो सकता है.
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प्रवासियों के बीच राशन किट बाट रहे लोग रोज़े में होते है और सेहरी के बाद वो इस काम में लग जाते है. सेहरी के बाद लोग राशन किट बना कर हाईवे पर आ जाते है और NH-31 से गुजरने वाले बस, ट्रक और बाइक सवार प्रवासियों और जरूरतमंद लोगो को राशन किट देते है ताकि उनकी भूख कुछ हद तक मिट सके.
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अब्दुल कलम सेवा समिति के सदस्यो का कहना है की भूखे और जरुरतमंद लोगो की मदद करना और उन्हें खाना-पानी देने कई गुणा सबाब का काम है. सेवा समिति के लोग ईद की तैयारी न करके प्रवासी मजदूरी की देवा में जुटे है. खाना और पानी का किट बना कर NH-31 से गुजरने वाले लोगो को दे रहे है.