झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी (Jharkhand Congress) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और लोहरदगा के विधायक रहे सुखदेव भगत और प्रदीप बालमुचू ने सोमवार को घर वापसी की है. दोनों को कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय में नए प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने विधिवत रूप से सदस्यता दिलाई इस दौरान सह प्रभारी उमंग सिंघार और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर भी मौजूद रहे. साथ ही वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव भी पार्टी कार्यालय में मौजूद थे.
झारखंड प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी आरपीएन सिंह के बीजेपी का दामन थामने के बाद सुखदेव भगत और प्रदीप बालमुचू दिल्ली में पार्टी के आलाकमान से मिलने पहुंचे थे इसके बाद उनकी एंट्री लगभग तय मानी जा रही थी. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की रणनीति के बाद अब विधिवत रूप से दोनों की वापसी हुई है. इस दौरान प्रदीप बालमुचू ने कहा कि इस परिवार का महत्व नहीं समझ पाए 2 साल वनवास के बाद परिवार में शामिल होना चाह रहा था राहुल गांधी और सोनिया गांधी के भरोसे पर खरा उतरूंगा संगठन को मजबूत भी करूंगा. वही सुखदेव भगत ने कहा कि परिस्थिति के कारण जो राजनीतिक भूल किया था उसे सुधारने का अवसर मिला. उन्होंने कहा कि उनके डीएनए में कांग्रेस है जहां भी रहा रोम रोम में कांग्रेस रहा.
सुखदेव भगत और प्रदीप बालमुचू के कांग्रेस में वापसी करने के बाद कांग्रेस का एक खेमा ऐसा भी है जिसमें नाराजगी बढ़ सकती है. इससे पहले भी उनकी तरफ से आलाकमान को पार्टी में वापसी के लिए आवेदन दिया गया था लेकिन उनकी वापसी लगातार अटक रही थी. ऐसा माना जा रहा था कि सुखदेव भगत की एंट्री से कांग्रेस के कई सीनियर लीडर में नाराजगी बढ़ सकती है. खासकर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव जो लोहरदगा से ही सुखदेव भगत को हराकर विधानसभा पहुंचे हैं. वह नहीं चाहते थे की पार्टी छोड़ कर जाने वाले वापस आएं.
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने साफ कर दिया था कि पार्टी के विरुद्ध चुनावी मैदान में उतरने वाले लोगों की वापसी नहीं होगी. हालांकि, झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नए अध्यक्ष के रूप में राजेश ठाकुर के आने के बाद फिर से यह चर्चा शुरू हो गई थी कि दोनों की वापसी होगी. बता दें कि 2019 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले प्रदीप बालमुचू और सुखदेव भगत ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था प्रदीप बालमुचू आजसू पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे तो वही सुखदेव भगत ने भाजपा का दामन थामकर तत्कालीन झारखंड कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव के खिलाफ भी चुनावी मैदान में ताल ठोंकी थी जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.