प्रतुल ने अपने इस कांफ्रेंस में कहा कि राज्य के भीतर फर्जीवाड़े की जानकारी मिलने के बाद नोडल पदाधिकारियों के साथ मिलकर विभाग ने मामले की गहन जांच की जिसमें 46000 संस्थाओं में से 3100 संस्थाओं को ही योग्य मानते हुए उन्हें भुगतान किया गया था. प्रतुल शाहदेव ने मुख्यमंत्री द्वारा लगाया गया बयान पर कहा कि सीएम ने जानबूझकर चुनाव के 1 दिन पूर्व इस मुद्दे को उठाया ताकि उनको राजनीतिक लाभ मिल पाए परंतु पूर्व की सरकार नहीं इसे रोकने का कार्य किया गया था उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन को यह भी बताना चाहिए कि उनके 10 महीने के कार्यकाल में इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं.
क्या है डीबीटी छात्रवृत्ति फर्जीवाड़ा:
डीबीटी के माध्यम से अल्पसंख्यक छात्रों को प्री मैट्रिक पोस्ट मैट्रिक के आधार पर छात्रवृत्ति का भुगतान किया जाता है केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर इसे लेकर फॉर्म भी भरे जाते हैं लेकिन संस्थाओं के द्वारा इस छात्रवृत्ति को प्राप्त करने में भारी फर्जीवाड़ा किया जाता है छात्रवृत्ति की रकम आवेदक के पास पहुंचने के बाद कई संस्थाओं के द्वारा उनसे आधी रकम वसूली जाती है छात्रवृत्ति 10700 रुपए आती है जिसमें से आधा पैसा बिचौलिए ले लेते हैं इस प्रकार से भ्रष्टाचार को बढ़ावा छात्रवृत्ति के रूप में दिया जा रहा