झारखंड एक आदिवासी बाहुल्य राज्य है जिस वजह से यहां लगातार जनगणना में अलग धर्म कोड की मांग को लेकर आवाजें उठती रही है. झारखंड में कई सरकारें आई और गई परंतु इस तरफ किसी का भी रुख नहीं रहा. साल 2019 में हेमंत सोरेन की सरकार बनने के बाद आदिवासी संगठनों के द्वारा लगातार दबाव बनाया गया.
आदिवासी संगठनों के द्वारा लगातार बनाए गए दबाव को देखते हुए झारखंड कि हेमंत सोरेन सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर विधानसभा से सरना आदिवासी धर्म कोर्ट के प्रस्ताव को पारित करके केंद्र सरकार के पास भेज दिया गया है. राज्य सरकार की तरफ से प्रस्ताव भेजने के बाद उस पर अंतिम फैसला केंद्र सरकार को लेना है. परंतु फैसला लेने में हो रही देरी को देखते हुए झारखंड के आदिवासी संगठनों के द्वारा केंद्र सरकार से अपनी मांग मनवाने के लिए समय-समय पर आंदोलन किए जा रहे हैं.
सरना कोड की मांग को लेकर रविवार 31 जनवरी को आदिवासी संगठनों के द्वारा रेल-रोड चक्का जाम किया जाएगा. इसको लेकर विभिन्न आदिवासी संगठनों के द्वारा शनिवार 30 जनवरी को राजधानी रांची में मशाल जुलूस अल्बर्ट एक्का चौक में निकाला गया. जिसमें अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद, आदिवासी सेंगेल अभियान और केंद्रीय सरना समिति के लोग शामिल थे. समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की का कहना है कि हर हाल में आदिवासी 2021 में जनगणना में सरना धर्म कोड चाहते हैं. परंतु केंद्र सरकार आदिवासियों को धर्म कोड देना नहीं चाहती है इसलिए यह चक्का जाम किया जाएगा.