Ramgarh By-Election: आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो गुरुवार को रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव के लिए चुनावी शंखनाद कर दिया है. चूल्हा प्रमुखों के कार्यक्रम आयोजित कर आजसू ने अपने खोई जमीन को हासिल करने के संकेत दे दिया है.
सुदेश कुमार महतो ने सत्तारूढ़ कांग्रेस-झामुमो की सरकार पर खूब बरसे. गोला स्थित सीपीसी कॉलेज मैदान (रामगढ़) में पार्टी की ओर से आयोजित चूल्हा प्रमुखों के सम्मेलन में कहा कि तीन साल से रामगढ़ नेतृत्व विहीन है. 27 फरवरी को होने वाले उपचुनाव में जीत दर्ज कर एनडीए की उम्मीदवार सुनिता चौधरी रामगढ़ की खोयी गरिमा वापस दिलाने का काम करेगी.
Ramgarh By-Election: कांग्रेस और झामुमो ने अल्पसंख्यकों को मानसिक रूप से गिरवी बना दिया है
कांग्रेस ने हमेशा जनता की सेवा ली है. उसे आम आदमी के राशन की नहीं, अपनी चिंता रही है. आजसू जनता की सेवा करती रही है. आजसू पार्टी के नेतृत्व में ही रामगढ़ का परिचय बदला लेकिन कांग्रेस ने उस परिचय को तीन साल में ही चौपट करके रख दिया. आजसू पार्टी ने विकास का जो मुकुट सजाया था, उसे कांग्रेस ने नोंच लिया. सुदेश महतो ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार में चारों तरफ अराजकता है. बिना घूस के कोई काम नहीं होता. युवा बेरोजगार बैठे हैं. मुख्यमंत्री जोहार यात्रा निकाल रहे हैं. कांग्रेस और झामुमो ने अल्पसंख्यकों को मानसिक रूप से गिरवी बना दिया है. मौके पर एनडीए प्रत्याशी सुनिता चौधरी, विधायक लंबोदर महतो सहित अन्य भी उपस्थित थे.
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सुदेश महतो ने कहा कि हमारे चूल्हा प्रमुख पार्टी के सबसे मूल्यवान कार्यकर्ता हैं. जनता के सुख दुख के असली साझीदार भी. रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में हर घर, हर परिवार की सेवा के लिए ही चूल्हा प्रमुखों का चयन करते हुए उन्हें जिम्मेदारी सौंपी जा रही है. चूल्हा प्रमुखों का सम्मेलन आम अवाम के सुख दुख में साथ खड़ा रहने का संकल्प है. चूल्हा प्रमुख हर घर परिवार के हक अधिकार दिलाने के लिए महत्वपूर्ण कड़ी का काम करेंगे.
सोरेन सरकार पर सवाल उठाते कहा कि बिजली बिल माफी की बात करनेवाली सरकार गरीबों का कनेक्शन काट रही. सोरेन परिवार कभी नहीं चाहता था कि अलग राज्य बने. इनका मकसद विषय को जिंदा रखकर राजनीति करने का है. अगर इन्होंने ईमानदार प्रयास किया होता तो 1993 में ही अलग राज्य का गठन हो गया होता. हेमंत सोरेन की यही मानसिकता स्थानीय नीति एवं नियोजन नीति को लेकर है. आजसू पार्टी की पहल का असर है कि सुप्रीम कोर्ट ने निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित कराने हेतु राज्य सरकार को निर्देश दिया है.