Ramgarh: बिहार पुर्नगठन अधिनियम 2000 के तहत झारखंड के अल्पसंख्यकों को जो अधिकार प्राप्त है, उससे महागठबंधन सरकार ने वंचित कर रखा है, रोजगार और विकास की बात तो छोड़ दीजिए 03 वर्षों में अल्पसंख्यकों से जुड़े बोर्ड निगम आयोग कमिटी का गठ़न भी नही हुआ.
विभिन्न प्रकार के हुए घटनाओं में अल्पसंख्यक पीड़ित परिवारों को न्याय देने के बजाए भेदभाव और उपेक्षा की गई, कहीं एफफाईआर तो कहीं बुलडोजर चलाये गये.सरकार के साथ शीर्ष पद पर बैठे अधिकारी अल्पसंख्यक समुदाय के आईएएस आईपीएस पर लगे मनगढ़ंत आरोपों पर कारवाई कर रहें हैं.उर्दू भाषा और उर्दू शिक्षक से जुड़े मसले तो हल हुए नही लेकिन 05 सौ से ज्यादा उर्दू स्कूलों को जबरदस्ती सामान्य विधालय बनाकर जुमा की छुट्टी समाप्त कर दी गई. मदरसा आलिम फाजिल की परीक्षा विश्वविद्यालय से कराने, माॅबलींचिग पर कानून, पीड़ित को नौकरी देने जैसे मामलों पर सरकार खंमोश है.
समय रहते महागठबंधन सरकार हमारे मसलों को हल करें नही तो अभियान पूरे राज्य में चलाये जाएंगे. उक्त बातें झारखंड छात्र संघ के अध्यक्ष शमीम अली ने रामगढ़ जिला के चितरपूर स्थित मून स्टार स्कूल में शहीद मंजूरूल हुसैन मेमोरियल फाउंडेशन के द्वारा अल्पसंख्यक अधिकार सम्मेलन के आयोजन में कहा.
मुख्य अतिथि के रूप एस. अली ने अल्पसंख्यकों के न्याय संवैधानिक अधिकार शिक्षा रोजगार और विकास और उर्दू से जुड़े मामलों पर बातों को रखा. विशिष्ट अतिथि के रूप में इफ्तिखार महमूद, युगेन्दर उपाध्याय, अधिवक्ता नौशाद आलम, अनवर राही, बीस सुत्री सदस्य मो जकीउल्लाहा ने भी सम्बोधित किया.सम्मेलन की अध्यक्षता फाउंडेशन के सचिव जुलफेकार खान और संचालन अशद हुसैन ने किया.सम्मेलन को मौलाना फजलूल कदीर, इस्मे आज़म, इमरान अंसारी, हारीश आलम, शामिम अहमद, अख्तर हुसैन, सिब्तैन अब्दुल्ला, बाबर खान, शमसाद खान, मौजाहिद हुसैन, जियाउल्लाह, मो. रफीक, मो इम्तीयाज आदि शामिल थे.