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दल-बदल मामलें में बाबूलाल, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को स्पीकर का नोटिस, दल बदल का चलेगा मामला

झारखंड में हुए 2019 विधान सभा चुनाव के बाद झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी 14 वर्षों के बाद भाजपा में घर वापसी कर चुके हैं लेकिन घर वापसी से पहले उन्होंने अपने 2 विधायकों को एक-एक कर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की पर पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया.

बाबूलाल मरांडी के भाजपा में शामिल होने से कुछ दिन पूर्व ही प्रदीप यादव और बंधु देती कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह के नेतृत्व में सोनिया गांधी से मुलाकात करते हैं लेकिन विधिवत घोषणा नहीं करते हैं क्या वह कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं या नहीं. भाजपा में शामिल होने के बाद बाबूलाल मरांडी को पार्टी की तरफ से विधायक दल का नेता सर्वसम्मति से चुना गया है लेकिन विधानसभा सचिवालय ने उन्हें भाजपा विधायक दल के रूप में मान्यता नहीं दिए साथ ही विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को भी मान्यता नहीं दी गई है कि वह कांग्रेस के सदस्य हैं परंतु निर्वाचन आयोग की तरफ से बाबूलाल मरांडी को भाजपा विधायक के रूप में मान्यता दी गई है.

मंगलवार 3 नवंबर को स्पीकर रविंद्र नाथ महतो ने तीनों नेताओं को नोटिस जारी कर 23 नवंबर को स्वयं या अपने अधिवक्ता के माध्यम से पेश होने का आदेश जारी किया है रविंद्र नाथ महतो के न्यायाधिकरण में तीनों के दल बदल का मामला चलेगा पूर्व में भी इसे लेकर तीनों नेताओं से जवाब मांगा गया था. दल बदल का मामला शुरू होने के साथ ही सियासी तपस्वी बढ़ने लगी है बाबूलाल मरांडी को भाजपा विधायक दल के रूप में मान्यता नहीं देने के कारण राज्य में नेता प्रतिपक्ष का पद अधर में लटका हुआ दिखाई दे रहा है तो वही झाविमो के आन्य दो विधायक रहे प्रदीप यादव और बंधु तिर्की भी निर्दलीय विधायक के रूप में दिखाई दे रहे हैं. फिलहाल प्रदीप यादव और बंधु तिर्की कांग्रेस के सदस्यता लेकर कांग्रेस पार्टी के लिए कार्य कर रहे हैं

2014 के विधानसभा चुनाव के ठीक बाद बाबूलाल मरांडी की पार्टी राही झारखंड विकास मोर्चा के 8 विधायक चुने गए थे जिनमें से छह विधायक भाजपा में चले गए थे तब भी बाबूलाल मरांडी के द्वारा भाजपा में गए 6 विधायकों के खिलाफ दलबदल का मामला तूल पकड़ा हुआ था उस वक्त बाबूलाल मरांडी ने भाजपा पर साफ आरोप लगाते हुए कहा था कि हमारे 6 विधायकों को धनबल के आधार पर अपनी तरफ किया गया है साथ ही उन्हें मंत्री पद और बोर्ड का लालच भी दिया गया था तकरीबन साढे 4 साल तक चले दलबदल के उस मामले की तरह है इस मामले को देखा जा रहा है लेकिन अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि इस मामले को लेकर स्पीकर कितनी तेजी से अपनी कार्रवाई करते हैं और क्या फैसला देते हैं या वक्त पर छोड़ देना चाहिए