झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में स्थित दवाई दोस्त (dawai dost) के नाम से दुकान संचालित है जहां सस्ती जेनेरिक दवा उपलब्ध कराई जाती है. रिम्स में मशीनें नहीं रहने से मरीजों को जांच के लिए आउटसोर्स या बाहर निजी जांच घरों में दोगुना पैसा खर्च करना पड़ता है लेकिन अब रिम्स आने वाले गरीब और लाचार लोगों को दवाई के लिए भी अधिक पैसे खर्च करने पड़ेंगे.
रिम्स निदेशक ने सस्ती जेनेरिक दवा उपलब्ध कराने वाली दुकान दवाई दोस्त को एक माह में हटाने का नोटिस दे दिया है. रांची सहित झारखंड में जहां जेनेरिक दवाई नहीं मिलती है और इसके लिए कोई नीति भी नहीं है वहीं, अब झारखंड हाईकोर्ट के निर्णय की व्याख्या कर इस दवा दुकान को बंद करने की तैयारी है. जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि 2015 के शासी परिषद की 41वें बैठक का हवाला दिया गया है जबकि प्रबंधन ने खुद 2020 में दुकान विस्तारित करने का आदेश दिया था और दुकान बढ़ी थी इधर प्रबंधन के आदेश के बाद शहर में विरोध शुरू हो गया है.