Also Read: भाजपा विधायक ढुल्लू महतो पर लगा है दुष्कर्म का मामला, जमानत पर कोर्ट में होगी सुनवाई
कोल्हान (Kolhan) के ‘हो’ आदिवासियों (Ho Tribal) की अपनी अलग कला, संस्कृति, भाषा और लिपि है. झारखंड सरकार ने इनकी भाषा को द्वितीय राजभाषा (Second Official Language) का दर्जा दिया है. लेकिन हो भाषा और लिपि को पढ़ाने और सिखाने के लिए कोल्हान में एक भी केंद्र नहीं है. इसका सीधा नुकसान आदिवासी समाज के छात्रों को हो रहा है. हो भाषा और वारंगक्षिति लिपि के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र (Training Center) 25 साल पहले टोंटो में खुला भी था. लेकिन दस साल चलने के बाद यह राजनीति और गुटबाजी के कारण बंद हो गया.
Also Read: महाशिवरात्रि महोत्सव बैद्यनाथ धाम-2020,बाबा मंदिर में उमड़ा देवतुल्य श्रद्धालुओं का जनसैलाब
हो प्रशिक्षण केन्द्र को फिर से खोलने की मांग
टोंटो प्रशिक्षण केंद्र के संस्थापक सदस्य रहे गोविंद सिंह कोंडगल ने बताया कि पिछले 15 साल से केंद्र को दोबारा खुलवाने के लिए किसी भी स्तर पर कोई प्रयास नहीं हुआ. लेकिन अब राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार है, सरकायकेला के जेएमएम विधायक चंपई सोरेन आदिवासी कल्याण मंत्री बने हैं. ऐसे में इस केंद्र के फिर से खुलने की उम्मीद जगी है.
चाईबासा के जेएमएम विधायक दीपक विरूआ ने कहा कि वो खुद इस मामले को विधानसभा में उठाने के साथ-साथ मुख्यमंत्री और कल्याण मंत्री से मुलाकात कर मांग रखेंगे.
Also Read: विद्यालय में शौचालय, पानी का अभाव, विद्यालय में सुविधा नहीं होने से बच्चे परेशान, पढ़ाई हो रही बाधित
2005 में बंद हो गया टोंटो केन्द्र
गौरतलब है कि साल 1995 में हो भाषा और लिपि को विकसित करने के उद्देश्य से टोंटो में प्रशिक्षण केंद्र खोला गया था. इसके लिए आदिवासी शैली में नक्काशी के साथ-साथ खूबसूरत भवन बनाया गया. कई आदिवासी बुद्धिजीवी बतौर प्रशिक्षक इससे जुड़े. एक हजार से ज्यादा छात्र प्रशिक्षण लेने लगे. 2003 में यहां के 187 छात्र जेपीएससी की परीक्षा में उतीर्ण भी हुए. एनसीटीआर से केन्द्र को मान्यता मिलने ही वाला था. लेकिन आदिवासी नेताओं और बुद्धिजीवियों की आपसी राजनीति और गुटबाजी के चलते यह केन्द्र 2005 में बंद हो गया. धीरे-धीरे इसका भवन खंडहर में तब्दील होता जा रहा है.